लोकतंत्र में आम जनता की जागरूकता से ही देश का विकास संभव है ।

लेखिका- सुनीता कुमारी पूर्णियाँ बिहार

किसी भी देश की ताकत उस देश का मानव संसाधन हैं। जनता की मेहनत और जनता का देश के प्रति निष्ठावान होना ही देश के विकास की पहली सीढ़ी है। जितने भी विकासशील देश है उस देश का मानव संसाधन बहुत मजबूत है। तकनीक, व्यापार ,कृषि सब में अव्वल है।
ऐसे देशों में प्राकृतिक संसाधन कम भी है फिर भी, मानव संसाधन की मेहनत और लगन हासिल कर लेती है।
इसमें निश्चय ही जनता की मेहनत और समर्पण  साथ ही उस देश की सरकारी नीति और विकास की दिशा दोनों का जनता के साथ तालमेल बेहतरीन होता है।

हमारे देश की सबसे बड़ी खासियत यह कि, प्रकृतिक संसाधन और मानव संसाधन दोनों बहुत मजबूत है।
ये दोनों मजबूत संसाधन दुनिया के गिने चुने देशो में है।
परंतु ,हमारा दुर्भाग्य यह है कि,इन दोनो संसाधनो  के प्रचुर मात्रा में होते हुए भी सरकार की  नीति तथा सरकार की विकास नीति का तालमेल  ही नही  है। जिसके परिणाम स्वरूप लाख कोशिश के बाद भी भारत विकसित राष्ट्र नही बन पा रहा है।
भारत का मानव संसाधन मेहनत करने के लिए पुरी तरह तैयार रहता है । रोजगार के लिए दरदर भटकता है ,पर भारत सरकार इस मानव संसाधन का उपयोग देश के विकास के लिए कर ही नही पा रही है।
इसका सबसे बड़ा कारण भारत की ढुलमुल और कमजोर राजनीतिक है। एवं विकास की दिशा ही दिशाहीन है।
ऐसा नही है कि, हमारे देश में विकास के कार्य नही हो रहे है ,कार्य हरजगह ,हरक्षेत्र में हो रहे है लेकिन, सुव्यवस्थित नही है।
सरकार के द्वारा विकास के कार्य किए जा रहे है। सड़के , बड़े बड़े पुल बिजली व्यवस्था ,व्यवसाय, शिक्षा, कृषि, उद्योग कारखाने आदि सरकार के द्वारा चारों ओर कार्य किये जा रहे है। मगर सरकार के द्वारा कोई भी कार्य सुव्यवस्थित तरीके से नही हो रहा है ,और अधिक से अधिक विकास कार्य में भष्टाचार की बदबु आ रही है।

पहले सड़क बनवायी जाती है ,फिर उस सड़क को तोड़कर नाले बनाये जाते है ,नाले बन जाने के बाद फिर उस सड़क को तोड़कर ,बिजली के तार बिछाये जाते है ,फिर सड़क बनायी जाती है । उसके बाद फिर सड़क को तोड़कर टेलीकॉम के तार बिछाये जाते है। यही हाल लगभग हर सरकारी तंत्र में है । एक काम को सुनियोजित तरीके करती ही नही है ।विकास के नाम पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है।आम जनता को इन सब चीजो से अच्छी खासी परेशानी होती है ,वही कुछ जनता को लगता है कि, विकास का कार्य हो रहा है। क्या सचमुच विकास का कार्य हो रहा है या बटुआ का विकास हो रहा है ?

दो से तीन साल में सड़के टूट रही है ,और कुछ जगह पर तो कुछ ही महिनों में टूट रही है ,इतनी अवधी में पूल क्रेक कर रहा है ,आखिर ये विकास है ? या सरकारी खजाने की बरबादी?। याआम जनता के पैसे की बर्बादी??
हाल के दस साल में हर राज्य में बहुत सारे सरकारी भवन बने है जहाँ जरूरत थी वहाँ भी जहाँ जरूरत नही थी वहाँ भी??ये सारे खाली भवन, उपयोग विहीन भवन चीख चीख कर कह रहे है कि ,विकास हो रहा है ?

मजाल है कोई जनता इन सब बातों के खिलाफ कोई आवाज उठा दे। जनता का काम लोकतंत्र में मात्र वोट देना ही है ?। बाकी सारी जिम्मेदारी देश के लिए कुछ करने वाले नेता ,देश का विकास करनेवाले नेता ,सेवाभाव रखनेवाले नेताओ की नही है ?? बल्कि ,वैसे नेताओ की होती है जो राजनीति के खिलाड़ी है ,भ्रष्टाचार के खिलाड़ी है ,जनता को ठगनेवाले खिलाड़ी है।
मगर, इनसब बातों से हम जनता का कोई लेना देना नही। जनता की गंदी और नकारात्मक मानसिकता यह है कि
हमें अपनी दिनचर्या से मतलब है।अपने काम मात्र से मतलब है ,वोट देने के बाद पाँच साल तक हमारी जिम्मेदारी समाप्त?
हमारे कीमती वोट का उपयोग कैसे हो रहा है ,जनप्रतिनिधि कैसे काम कर रहे है ये सोचना भी जनप्रतिनिधि का ही काम है ??
आम जनता का नही??

सरकार में शामिल होने वाला व्यक्ति तभी तक जनता के हिसाब से काम करता है ,जब तक उसे वोट की जरूरत होती है। मजैसे ही उसे जनता के द्वारा वोट मिल जाता है और वह चुनाव जीत जाते हैं ,वैसे ही वे लोकतंत्र के राजा बन जाते है व अपनी मर्ज़ी से काम करते है, एक तरफ से वह उस क्षेत्र के राजा ही बन जाते हैं ,

अंततः आम जनता  प्रजा की तरह फरियाद करती रह जाती है,विकास की गाड़ी बीच रास्ते में रूकी रहती है। दूसरा हम जनता ही देश के विकास को रोक रहे है।

जबतक आम जनता देश के विकास को लेकर जागरूक नही होगी और देश के विकास की जिम्मेदारी नही लेगी तबतक देश का विकास संभव नही है।

जनता को अपने अधिकार से लेकर देशहित  देश का विकास  को लेकर मनन नही करेगी, चारो ओर ध्यान नही  देगी ,तबतक देश में विकास संभव नहीं है।

सबसे पहले जनता को भारत की राजनीति को लेकर जागरूक होना पड़ेगा सतर्क होना पड़ेगा हर चुनाव मतलब ग्रामपंचायत के सरपंच के चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपने किमती वोट के साथ साथ अपने किमती समय का भी बेस्ट देना पड़ेगा निस्वार्थ भाव से जनजागृति का कार्य भी करना पड़ेगा एक एक अच्छा सेवकों जीता ने के लिए एक सच्चे सेवक को चुनाव में उतरने के लिए जनता पुरी निष्ठा से जितना नेक कार्य जनता करेगी तभी देश में विकास होगा और देश विकसित हो पाएगा। तभी हर घर अच्छे दिन आएंगे।
 

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