अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस..

महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा की समस्या दुनिया भर में फैली हुई है। यह सभी महिलाओं और लड़कियों का नैतिक अपमान, हमारे सभी समाजों के लिए कलंक और समावेशी, समतामूलक तथा संवहनीय विकास में एक प्रमुख बाधा है। महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा का मूल कारण उनके प्रति सम्मान के भाव का घोर अभाव है। पुरुष असल में महिलाओं की निहित बराबरी और गरिमा को मान्यता ही नहीं देते। यह मुद्दा बुनियादी मानव अधिकारों का है।

घर में हमलों से लेकर तस्करी, संघर्षों के दौरान यौन हिंसा से लेकर बाल विवाह और जननांग भंग से लेकर महिलाओं की हत्या तक, हिंसा के अनेक रूप हो सकते हैं। यह हिंसा महिलाओं और लड़कियों को तो नुकसान पहुँचाती ही है, परिवार और समाज पर भी इसके दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं। यह बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी है। महिलाओं के साथ हिंसा का सीधा संबंध हमारे समाज में सत्ता और नियंत्रण के व्यापक मुद्दों से है। हमारे समाज पर पुरुषों का वर्चस्व है। महिलाओं को ऐसे अनेक तरीकों से हिंसा के सामने लाचार कर दिया जाता है जिनसे हम उन्हें बराबरी का दर्जा नहीं देते।
इस  लिए 25 नवंबर का दिन हर साल पूरी दुनिया में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह दिवस नारी को शक्तिशाली और संस्कारी बनाने का अनूठा माध्यम है। विश्व महिला हिंसा-उन्मूलन दिवस गैर-सरकारी संगठनों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सरकारों के लिए महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के प्रति जन-जागरुकता फैलाने का मौका होता है, लेकिन बढ़ते जा रहे अपराध, बिगड़ रहे हालात महिलाओं के खिलाफ हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है।

एक ओर सरकार महिला सशक्तिकरण के कदम उठा रही है तो दूसरी तरफ महिलाएं घर में ही सुरक्षित नहीं हैं। दरअसल, नारी को छोटा व दोयम दर्जा का समझने की मानसिकता बन चुकी है। असल सवाल इसी मानसिकता को बदलने का है। महिलाओं के साथ दुष्कर्म, यौन प्रताड़ना, दहेज के लिए जलाया जाना, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ये सब एक सभ्य समाज के लिए बेहद शर्मनाक है। इसके लिए हमें लोक लाज त्यागना होगा व दहेज, यौन शोषण जैसे गंभीर अपराधों का डटकर मुकाबला करना होगा। सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए भले ही सैकड़ों योजनाएं तैयार की हों, परंतु महिला वर्ग में शिक्षा-जागरुकता की कमी आज भी खल रही है।

 

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