पुरजोर तरीके से गौशाला बनवाने की ग्रामीणों ने की मांग।

कछौना, हरदोई: प्रशासन मवेशियों को गौशालाओं में भिजवाने और नये गौशाला बनवाने की बात कह रहा है। कुछ उम्मीद जगी थी लेकिन आदर्श आचार संहिता लगते ही यह उम्मीद भी खत्म हो चुकी है। हकीकत में विकास खण्ड कछौना की न्याय पंचायत बरौली की किसी भी ग्राम सभा में निराश्रित पशु आश्रय स्थल न होने के कारण हजारों की संख्या में गौवंश घूम रहे है। वही ग्राम सभा महरी के विभिन्न मजरों में हजारों की संख्या में गौवंशों के आतंक से किसान लगभग 5 वर्षों से काफी परेशान हैं।

वही ग्रामीणों ने जनसुनवाई के माध्यम से ग्रामसभा महरी में गौशाला बनवाने की मांग प्रशासन से की थी। जिसकी आख्या में बिना पत्रांक संख्या के सचिव ने  बताया की ग्राम पंचायत में गौशाला निर्माण के लिए अभी तक प्रस्ताव नहीं किया गया है, इसीलिए गौशाला निर्माण कराना असंभव है। ग्रामीणों ने बताया प्रस्ताव क्या ग्रामीण बनाकर प्रस्तावित करेंगे, यह तो जिम्मेदारों की लापरवाही है, जबकि ग्राम सभा में इस्थाई पशुचर के लिए भूमि गाटा संख्या 862क रकवा 10.2560 हेक्टेयर, गाटा संख्या 1364ख रकवा 1.5180 हेक्टेयर, गाटा संख्या 1367ख रकवा 3.4240, गाटा संख्या 1709ग रकवा 3.0830, गाटा संख्या 2589 रकवा 0.8090 कुल भूमि 19.0900 हेक्टेयर है। उक्त भूमि के कुछ भाग पर रसूखदार भू माफियाओं ने कब्जा कर रखा है। इसीलिए पूर्व प्रधान ने गौशाला बलवाना मुनासिब नहीं समझा था। भोले-भाले ग्रामीणों को कुछ माह पूर्व पंचायत चुनाव में अपने मतों का सही प्रयोग कर गांव की सरकार बदल दी, लोगों को उम्मीद जगी कि अब हमारी पंचायत में मूलभूत सुविधाएं व गौशाला का निर्माण होगा, जिससे हम लोगों को ज्वलंत समस्याओं से निजात मिलेगी। परंतु वर्तमान प्रधान भी पुराने ढर्रे पर चल रहें है, जो भू-माफिया पहले प्रधान के करीबी थे, अब वह भू-माफिया वर्तमान प्रधान के भी करीबी हैं, शायद इसीलिए वर्तमान प्रधान भी गौशाला के लिए प्रस्ताव नहीं प्रस्तावित किया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम सभा महरी के गांव सेमरा कलां में कुछ ग्रामीणों ने शनिवार की रात में सैकड़ों गौवंशों को सामुदायिक केंद्र में बंद कर दिया था, बिना चारा पानी के रविवार की दोपहर तक बंद रहे। गांव के बुद्धिजीवियों द्वारा समझाने पर छुट्टा गौवंशों को आजाद कर दिया गया। ग्रामीणों ने बताया आवारा गौवंशों की समस्या से निजात नहीं दिलाया गया, तो विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। क्योंकि हम किसान 5 वर्ष से सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में खेतों में रतजगा करना नहीं चाहेंगे।


रिपोर्ट-प्रशांत तिवारी/पीड़ी गुप्ता

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