गए थे रजिस्ट्रेशन का आदेश लेने...मिला आवेदन के निस्तारण का

गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार मे अपने खिलाफ हुई प्रशासनिक कार्यवाही से बौखलाए अवैध सेन्टर न्यू पी के डायग्नोस्टिक के संचालक प्रदीप मिश्र ने पहले तो पुलिस पर आरोप लगाए तथा उसके बाद सी एम ओ कार्यालय गोरखपुर पर भी कई आरोप मढ़े ।

लेकिन अपने खिलाफ पैदा हुए सिलसिलेवार सबूतों को देख प्रदीप मिश्रा हाइकोर्ट पहुँच गया । वहां अपनी याचिका में सही तथ्यों को छुपाते हुए प्रदीप मिश्रा ने सी एम ओ गोरखपुर पर आरोप लगाया कि 21 सितंबर 2021 से उसके रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण का आवेदन सी एम ओ कार्यालय गोरखपुर में लंबित है और उसका निस्तारण अब तक मतलब 30 दिसम्बर 2021 तक नही किया गया है ।

लेकिन कहते है कि जिस तरह झूठ फरेब कभी छिपता नही और पानी मे किया गया मल थोड़ी देर बाद वापस अपनी सतह पर आ ही जाता है ...बस वही हाल यहां भी हुआ ।हाइकोर्ट ने सी एम ओ गोरखपुर को डायरेक्शन दिया है कि न्यू पी के डायग्नोस्टिक के रिन्यूअल एप्लीकेशन दिनांक 21 सितंबर 2021 का 2 माह के अंदर निस्तारण कर दिया जाए ।

लेकिन मजे की बात यह है कि हाइकोर्ट के वर्तमान जारी आदेश के पहले ही सी एम ओ कार्यालय गोरखपुर ने न्यू पी के डायग्नोस्टिक का आवेदन दिनांक 23 नवंबर 2021 को ही निरस्त कर उसे दिसंबर माह में सील भी कर दिया था ।

मतलब आवेदन का निस्तारण माह नवंबर में ही कर दिया गया था और हर बार की तरह इस बार भी प्रदीप मिश्रा द्वारा दायर की गई झूठी याचिका का भी वही हश्र हुआ जो होना चाहिए था ।

गौरतलब है कि इसके पूर्व में भी प्रदीप मिश्रा ने अपने अवैध सेन्टर के खिलाफ हुई कार्यवाही से बौखलाकर गोरखपुर के तत्कालीन डी एम के खिलाफ याचिका दाखिल की थी जिसमे उसे मुंह की खानी पड़ी थी और अपनी इज्जत बचाने के लिए हाइकोर्ट से अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी थी ।

उच्च न्यायालय का आदेश देखें ....

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