खंड खंड हुआ अखंड भारत- सफर जम्बूद्वीप से इंडिया तक का

लेखिका" दीप्ति डांगे,


भारत का इतिहास 65000 वर्ष पुराना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारम्भिक सभ्यता थी इसका  नामकरण वेदों के नाम पर किया गया है। इसकी भाषा संस्कृत थी और धर्म "वैदिक धर्म" या "सनातन धर्म" के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा।ऐसा माना जाता है कि हमारे यहां के लोगों ने मेसोपोटामिया, ईजिप्ट,बेबिलोनिया आदि सभ्यताओं के निर्माण में योगदान दिया।पुराविदों और आजतक की खोज से यही पता चलता है कि मानव की उत्पत्ति भारत के वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर हुई थी जो कश्मीर में है।इतिहासकारों की माने तो दुनिया की प्रारंभिक मानव आबादी नदियों के पास ही बसी थीं जिसमें सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे बसी सभ्यता सबसे समृद्ध, सभ्य और बुद्धिमान थी।

हालांकि इतिहासकारों और भारतीय वेदों के अनुसार मानव की उत्पत्ति के दो सिद्धांत मिलते हैं- पहला की ब्रह्मा जी के मानस पुत्र प्रजापति के पुत्रों ओर पुत्रियों से ही धरती पर मानव जाती की उत्पति हुई।हम सभी प्रजापतियों की संतानें हैं। दूसरा सिद्धान्त प्राचीनकाल में मनुष्य आज के मनुष्य जैसा नहीं था। जलवायु परिवर्तन के चलते उसमें भी बदलाव होते गए।

ऐसा माना जाता है एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे।इसका प्रमाण मैक्सिको में एक खुदाई के दौरान हजारों सालों पुराण भगवान गणेश और लक्ष्मी की प्राचीन मूर्तियां, अफ्रीका में 6 हजार वर्ष पुराना एक शिव मंदिर और चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, जापान में हजारों वर्ष पूरानी भगवान विष्णु, रामजजी और हनुमानजी की प्रतिमाएं मिलना है। और सनातन धर्म दुनियाभर में अलग-अलग नामों से प्रचलित था। अरब और अफ्रीका में जहां सामी, सबाईन, ‍मुशरिक, यजीदी, अश्शूर, तुर्क, हित्ती, कुर्द, पैगन आदि इस धर्म के मानने वाले समाज थे तो रोम, रूस, चीन व यूनान के प्राचीन समाज के लोग सभी किसी न किसी रूप में हिन्दू धर्म का पालन करते थे। ईसाई और बाद में इस्लाम धर्म के उत्थान काल में ये सभी समाज हाशिए पर धकेल दिए गए।

यदि हम धार्मिक इतिहास के लाखों वर्षयो के प्राचीन इतिहास को न भी मानें तो भी संस्कृ‍त और कई प्राचीन भाषाओं के इतिहास के तथ्‍यों के अनुसार प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत लगभग आज से 15 हजार वर्ष पूर्व जम्बूद्वीप से हुई जो वर्तमान एशिया का अधिकांश भाग माना जाता है।और भारतीय सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता मानी जाती है। जिसका इतिहास इतिहासकारों के अनुसार ईसा पूर्व 8000 से 9000 सालों पुराना है।ऐसा माना जाता सुमेरिया, बेबिलोनिया, ईरान, मिस्र (इजिप्ट), असीरिया,  ग्रीस (यूनान), रोम की सभ्यताएं

अस्तित्व मे 2000-3000 ईसा पूर्व आई लेकिन इन सभ्यतायों से पूर्व ही 5000 ईसा पूर्व महाभारत का युद्ध लड़ा गया था।
भारतीय पुराणों और वेदों के अनुसार धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बू द्वीप सभी द्वीपों के बीचोबीच स्थित था। जम्बू द्वीप को बाहर से लाख योजन वाले खारे पानी के वलयाकार समुद्र ने चारों ओर से घेरा हुआ था। जम्बू द्वीप का विस्तार एक लाख योजन था। जम्बू (जामुन) नामक वृक्ष की इस द्वीप पर अधिकता के कारण इस द्वीप का नाम जम्बू द्वीप रखा गया था।ये नौ खंड में बांटा गया था जिस में इसराइल से चीन और रूस से भारतवर्ष का क्षेत्र आता था।रामायण और महाभारत काल से ही संपूर्ण जम्मुद्वीप  महाजनपदों में बंटा हुआ था। प्रत्येक महाजनपद के अंतर्गत जनपद और उप-जनपद होते थे। इनका स्वरूप वर्त्तमान स्वरूप जैसा था जिसमे एक राज्य होता है और उसकी एक राजधानी होती है। ये महाजनपद आपस में अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ते रहते थे। जिस भी राजा का संपूर्ण भारत पर एकछत्र राज हो जाता था उसे चक्रवर्ती सम्राट मान लिया जाता था।महाभारत काल  कुल 16 प्रमुख महाजनपद होते थे।और रामायण काल मे कुल नौ प्रमुख महाजनपद थे जिसके अंतर्गत उप-जनपद होते थे।

जंबूद्वीप में स्थित था आर्यावर्त जिसमे आर्ये निवास करते थे और उन्होंने आर्यवर्त को 7 द्वीपों में बांटा था।जिसमें आज के हिन्दुस्थान, संपूर्ण पाकिस्तान और संपूर्ण अफगानिस्तान का क्षेत्र था। जिसको अखंड भारतवर्ष भी कहा गया। जो हिन्दूकुश पर्वत माला से अरुणाचल और अरुणाचल से बर्मा, इंडोनेशिया तक फैला था। दूसरी ओर यह कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी-श्रीलंका तक और हिन्दूकुश से नीचे सिंधु के अरब सागर में मिलने तक फैला था। जिसपर राजा भरत से लेकर सम्राट विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त द्वितीय, राजा भोज और हर्षवर्धन जैसे महान राजयों ने एकछत्र राज किया। इनके बाद भारत का पतन होने लगा।बाद में सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने खंड-खंड बिखरे भारत को अपने पराक्रम और चाणक्य के दूरदर्शिता, कूटनीति और राजनीति से अखंड भारत बनाया।जिसपर सम्राट अशोक तक ने राज किया। धीरे धीरे फिर से अखंड भारत टूट गया और यहां अलग अलग मान्यताएं व परंपराएं के अनुसार राज्य बन गया उन्ही परंपराएं ओर मान्यताएं मानने वाले राजाओं का शासन हो गया लेकिन उनका खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-नृत्य, पूजापाठ, पंथ के तरीके करीब-करीब सामान ही थे। लेकिन बाहरी आक्रमकारियों के आक्रमण के बाद और विदेशी संपर्क के बाद यहां की संस्कृति बदलने लगी और पिछले 2500 सालों में भारतवर्ष पर आक्रमणकारी ने आक्रमण कर अखंड भारत को 24 भागो मे बांट दिया जो आज भारत के पड़ोसी देश कहलाते है।जैसे अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश।यहां तक कि मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, दक्षिणी वियतनाम, कंबोडिया आदि।
1857 से 1947 तक हिंदुस्तान के 7 ओर टुकड़े होकर नए देश बन गए। 1947 में बना पाकिस्तान भारतवर्ष जो अखंड भारत का 24वां विभाजन था।

आज जो भारत देश हैं, वो अखंड भारत का एक तिहाई भी नहीं है जिसको आज इंडिया कहा जाता है। भारतवर्ष जम्बूद्वीप का एक भाग था।और भारतवर्ष में ही आर्यावर्त स्थित था। आज न जम्बूद्वीप है न अखंड भारत और न हई आर्यावर्त। आज सिर्फ हिन्दुस्थान है और सच कहें तो यह भी नहीं है।

जो भारत अखंड था वो खंड खंड होकर एक छोटा सा टुकड़ा इंडिया बन गया।एटलस के अनुसार जब हम श्रीलंका या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर देखेंगे तो हिंद महासागर इंडोनेशिया व ईरान तक ही है। इन मिलन बिंदुओं के बाद ही दोनों ओर महासागर का नाम बदलता है। इस प्रकार से हिमालय, हिंद महासागर, आर्यान (ईरान) व इंडोनेशिया के बीच का पूरे भू-भाग को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष या हिंदुस्तान कहा जाता था।जिसका क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किमी था। लेकिन वर्तमान भारत या इंडिया का क्षेत्रफल सिर्फ 33 लाख वर्ग किमी ही रह गया।आज फिर कुछ बाहरी देशद्रोही ताकते धर्म जाति के नाम पर देश के ओर टुकड़े करने की कोशिश कर रही है और उनको देश के अंदरूनी देशद्रोही ताकतों का साथ मिल रहा है। जो देश को अंदर से खोखला करने की कोशिश कर रही है। आज हम सभी को जाति, धर्म और निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर एक होकर देशहित मे इन देशद्रोहियो को मुंहतोड़ जवाब देना होगा।और दूसरी तरफ सरकार को कठोर निर्णय लेकर अपने देश के टुकड़े होने से बचाना होगा।

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