आर्य समाज से मिला विवाह सर्टिफिकेट अब नहीं होगा मान्य- SC

मृदुला श्रीवास्तव -  

इन दिनों आर्य समाज से अलग अलग धर्म के लोगों का विवाह होना आम बात हो चुकी है, आए दिन खबर देखने को मिलेगी कैसे घर से अनुमति न मिलने पर लोग भाग कर आर्य समाज प्रथा से शादी रचा लेते हैं. आइए आपको अवगत कराते हैं ऐसी कुछ खबरों से और साथ ही में जानेंगे आखिर क्या है  इसके पीछे की कहानी?

 

1.आर्य समाज मंदिर की ओर से जारी सिर्फ मैरिज सर्टिफिकेट शादी साबित करने के लिए काफी नहीं है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से यह टिप्पणी सामने आई है.

2.मोहब्बत की खातिर बदला धर्म, फिर प्रेमी संग भागकर आर्य समाज मंदिर में की शादी, अब परिवार वालों से जान खतरा, मांगी सुरक्षा. 
एसी ही आर्य समाज से संबन्धित बहुत सी और खबरें आपको देखने को मिलेंगी. बहरहाल आपको आर्य समाज के रीति रिवाजों के बारे में बताते है .
 
आखिर क्या है आर्य समाज और कब हुई इसकी शुरुवात?

आर्य का अर्थ है भद्र एवं समाज का अर्थ है सभा अतः आर्य समाज का अर्थ है ‘भद्रसभा’.आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आंदोलन है जिसका मुख्य कार्य सभी जातिबंधन तोड़कर, सभी हिन्दू धर्मों को एक जुट करके रखना होता है . स्वामी दयानन्द सरस्वती ने मुंबई में, 10 अप्रैल 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी. पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली में इसका अधिक प्रभाव देखने को मिलता है. आर्य समाज के अनुसार एक ही ईश्वर है जिसे “ब्रह्म” कहा गया है. 


आर्य समाज से होने वाली शादियाँ को नही मिलेगी मान्यता

इस साल जून में सूप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज से शादी होने पर दिये जाने वाले सर्टिफिकेट को खारिज करने का निर्देश दिया व आर्य समाज मैरेज सर्टिफिकेट को अमान्य घोसित किया। आर्य समाज से हो रही शादियों पर एलाहाबाद हाई कोर्ट ने 31 अगस्त को बड़ा निर्णय सुनाया है- आर्य समाज से जारी हुये सर्टिफिकेट के आधार पर लोगो को विवाहित नही माना जाएगा. जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने एक याचिका की सुनवाई पर कहा कि, आर्य समाज से विवाह प्रमाण पत्र जारी होने की लाइन लगी हुई है। सिर्फ आर्य समाज के प्रमाण पत्र के आधार पर किसी को भी विवाहित नहीं माना जा सकता है. ऐसे में और क्या क्या नियमों का पालन करना होगा इसकी पूरी सूचना आगे देखते हैं. 

आर्य समाज से मिले सर्टिफिकेट का क्या करें

आर्य समाज मंदिर में हुई शादी को आर्य समाज वैलिडेशन एक्ट 1937 और हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अंतर्गत मान्यता दी जाती है। हिंदू, बौद्ध,जैन और सिख व्यक्ति इस मंदिर में शादी कर सकते हैं. दोनों हिंदू हैं तो हिंदू मैरिज एक्ट और अलग धर्म के हैं तो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता मिलती है. सर्टिफिकेट लेकर शादी को कानून के तहत SDM ऑफिस या संबंधित विभाग में दर्ज कराना होगा.

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