बाबरी मस्जिद की शहादत व अंबेडकर स्मृति दिवस पर भाकपा-माले का सांप्रदायिकता विरोधी मार्च

बाबरी मस्जिद की शहादत व अंबेडकर स्मृति दिवस पर भाकपा-माले का सांप्रदायिकता विरोधी मार्च

पटना में जीपीओ गोलबंर से बुद्धा स्मृति पार्क तक निकला मार्च.

देश के संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाने का लिया गया संकल्प

पटना: 6 दिसंबर 2021 बाबरी मस्जिद की शहादत और संविधान निर्माता डाॅ. भीमराव अंबेडकर के स्मृति दिवस पर आज राजधानी पटना सहित राज्य के तमाम जिला मुख्यालयों में सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकाला गया. राजधानी पटना में देश की गंगा-जमुनी तहजीब को बचाने तथा देश में उन्माद-उत्पात की राजनीति, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, काशी-मथुरा को अयोध्या बनाने व संविधान बदलने की साजिश के खिलाफथ जीपीओ गोलबंर से मार्च निकला, जो स्टेशन गोलबंर होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क पहुंचा और फिर वहां एक सभा आयोजित की गई.

मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य व खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, वरिष्ठ किसान नेता केडी यादव, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, अरवल विधायक महानंद सिंह, पटना महानगर के सचिव अभ्युदय आदि नेताओं ने किया.

माले नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि 6 दिसंबर का दिन भाजपा व आरएसएस के लोगों ने बाबरी मस्जिद को ढाहने के लिए जानबूझकर चुना था. यह दिन संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है. इसका साफ मतलब है कि उन्होंने न केवल मस्जिद पर हमला किया था बल्कि संविधान पर भी हमला किया था. यह दुभागर््यपूर्ण है कि बाबरी मस्जिद ढाहने वाले फासीवादी ताकतों को कोई सजा नहीं मिली. ऐसी ताकतों को देश की जनता ही सबक सिखाएगी.

आगे कहा कि आज भाजपा व आरएसएस के द्वारा न केवल देश की गंगा जमुनी तहजीब पर हमला है, बल्कि संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता सब के सब खतरे में है. समाजवाद को भी संविधान से हटाने के प्रयास चल रहे हैं. भाजपा के लोग दरअसल मनुस्मृति को ही संविधान बनाने पर तुले हुए हैं, जो भी हमें अधिकार हासिल थे, उसमें लगातार कटौती करके देश में तानाशाही स्थापित करने की कोशिशें की जा रही है. भाकपा-माले भाजपा व संघ द्वारा देश में उन्माद-उत्पात की राजनीति को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, काशी-मथुरा को अयोध्या बनाने और संविधान को बदल डालने की कोशिशों के खिलाफ निरंतर सड़कों पर संघर्ष करती रहेगी.

लेकिन हर कोई जानता है कि देश की आजादी के लड़ाई में हिंदु-मुसलमानों ने एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ी. वे आरएसएस के लोग थे जिन्होंने आजादी के आंदोलन से विश्वासघात किया और आज सत्ता में बैठकर इतिहास को ही पलट देने की कोशिश कर रहे हैं. तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन ने यह साबित किया है कि आज भी देश के हिंदु-मुसलमान सब एक साथ इस फासीवादी हुकुमत से लड़ रहे हैं और देश में मनुस्मृति थोपने की उनकी साजिश नहीं चलने वाली है. उन्होंने देश की जनता से आजादी के आंदोलन के गर्भ से निर्मित मूल्यों व सपनों की हिफाजत के लिए निर्णायक संघर्ष का आह्वान किया.

आज के कार्यक्रम में उपर्युक्त नेताओं के अलावा एआइपीएफ के कमलेश शर्मा, इंसाफ मंच की आसमां खां, कोरस की समता राय, आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार, राज्य अध्यक्ष विकास कुमार, इनौस के राज्य सचिव सुधीर कुमार, नवीन कुमार, मुर्तजा अली, नसीम अंसारी, मुर्तजा अली, पुनीत पाठक, विनय कुमार सहित बड़ी संख्या में छात्र-नौजवान शामिल थे.

पटना के अलावा पश्चिम चंपारण के बेतिया, बक्सर के डुमरांव, दरभंगा, अरवल, आरा, समस्तीपुर, रोहतास, मसौढ़ी आदि जगहों पर सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकाला गया.

संवाददाता: गोपाल प्रसाद सिन्हा

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