निमोनिया सिर्फ फेफड़ों को नहीं, जोड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है

निमोनिया केवल एक साधारण फेफड़ों का संक्रमण नहीं है। यह शरीर के अन्य हिस्सों, जैसे जोड़ों और मांसपेशियों को भी प्रभावित कर सकता है। खासकर बुजुर्गों और कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में इसके गंभीर प्रभाव देखे जा सकते हैं।

1. निमोनिया क्या है?

निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस या फंगल संक्रमण के कारण होता है। यह फेफड़ों की अल्वेओली (छोटे वायु थैले) में सूजन और तरल पदार्थ भरने का कारण बनता है, जिससे ऑक्सीजन का आदान-प्रदान बाधित होता है।

2. निमोनिया के सामान्य लक्षण

तेज बुखार और ठंड लगना
खांसी, अक्सर बलगम के साथ
सांस लेने में कठिनाई
थकान और कमजोरी
सीने में दर्द या दबाव

3. जोड़ों और मांसपेशियों पर प्रभाव

निमोनिया सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रहता। इसके कारण:
सिस्टमिक इन्फ्लेमेशन: शरीर में सूजन बढ़ जाती है, जो जोड़ों में दर्द और सूजन का कारण बन सकती है।
अस्थायी गठिया (Reactive Arthritis): कुछ बैक्टीरिया और वायरस संक्रमण के बाद शरीर के इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया जोड़ों को प्रभावित कर सकती है।
मांसपेशियों में दर्द (Myalgia): बुखार और संक्रमण के कारण मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द हो सकता है।
पुराने रोगियों में समस्या: यदि किसी व्यक्ति को पहले से आर्थराइटिस या जोड़ों की कमजोरी है, तो निमोनिया उसके दर्द और सूजन को बढ़ा सकता है।

4. जोखिम वाले लोग

बुजुर्ग और कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले लोग
शिशु और छोटे बच्चे
पहले से अस्थमा, डायबिटीज़ या हृदय रोग वाले लोग
पहले से गठिया या जोड़ों की समस्या वाले लोग

5. बचाव और सावधानियाँ

टीकाकरण: Pneumococcal और Influenza वैक्सीन लेने से निमोनिया का खतरा कम होता है।
स्वच्छता: हाथ धोना और मास्क पहनना संक्रमण से बचाव में मदद करता है।
संतुलित आहार: विटामिन C, D और प्रोटीन युक्त आहार इम्यूनिटी बढ़ाते हैं।
जल्दी इलाज: खांसी, बुखार और सांस लेने में कठिनाई होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
जोड़ों का ख्याल: सूजन या दर्द होने पर आराम करें, हल्की मालिश और डॉक्टर की सलाह से दवा लें।

6. इलाज

बैक्टीरिया संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स
वायरल निमोनिया में आराम और हाइड्रेशन
बुखार और दर्द के लिए पेनकिलर
गंभीर मामलों में हॉस्पिटलाइजेशन और ऑक्सीजन सपोर्ट

निमोनिया सिर्फ फेफड़ों की बीमारी नहीं है, यह पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है। जोड़ों में दर्द, सूजन और मांसपेशियों की कमजोरी इसके संभावित प्रभाव हैं। इसलिए समय पर टीकाकरण, सही इलाज और सावधानियों के माध्यम से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।

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