जानिये भारत जोड़ो यात्रा का राजस्थान अग्निपथ ...

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा' 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया एक जन आंदोलन है जिसका उद्देश्य नई दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कथित विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ देश को एकजुट करना है। , और राहुल गांधी की यह भारत जोड़ो यात्रा कुछ ही समय मे राजस्थान पहुचने वाली है, और इस यात्रा के चलते राहुल गांधी को राजस्थान में सामने पार्टी की कलह के अलावा कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. यात्रा का रूट फाइनल होने और संगठन की ओर से तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस नेताओं के बीच हो रही गुटबाजी एक बड़ा संकट बन सकता है. बताया जा रहा है कि यात्रा से पहले गहलोत गुट को घेरकर आलाकमान पर दबाव का माहौल बनाया जा रहा है. आइए जानते हैं कि वर्तमान में राहुल की यात्रा को किन 3 चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा को लेकर रूट फाइनल हो गया है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों की खींचतान, बेरोजगारों के आंदोलन, ओबीसी आरक्षण के मसले पर पार्टी नेताओं की चेतावनी और गुर्जर समाज के यात्रा का विरोध करने की धमकी के बीच राहुल झालावाड़ से 3 दिसंबर को राजस्थान में एंट्री लेंगे. राहुल की यात्रा झालावाड़ जिले से प्रदेश में एंट्री लेकर अलवर होते हुए करीब 20 दिसम्बर को यात्रा हरियाणा में प्रवेश करेगी. अब तक राहुल गांधी की यात्रा पार्टी की सरकार वाले किसी राज्य से होकर नहीं निकली है ऐसे में राजस्थान में सरकार होते हुए भी राहुल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

जानकारों का कहना है कि रूट फाइनल होने और संगठन की ओर से तमाम कोशिशों के बावजूद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के सामने राजस्थान में कांग्रेस नेताओं के बीच हो रही गुटबाजी एक बड़ा संकट है. बता दें कि राहुल की यात्रा से पहले सचिन पायलट गुट की ओर से बयानबाजी तेज हो गई है और यात्रा से पहली गुट के कई नेताओं ने अपनी मांगों को फिर हवा देना शुरू कर दिया है.


यात्रा से पहले कांग्रेस की गुटबाजी-
मालूम हो कि यात्रा से पहले पायलट खेमे की ओर से लंबित मांगों पर फैसला और 25 सितंबर के घटनाक्रम को लेकर आलाकमान पर फैसला लेने का दबाव बनाया जा रहा है. वहीं हाल में राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश को भी दबाव की रणनीति के तौर पर देखा गया. दरअसल गहलोत खेमे के मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.हालांकि पायलट गुट की ओर से दबाव के बाद कांग्रेस ने तीनों नेताओं को भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों के लिए बनाई कमेटी से बाहर रखा है. माना जा रहा है कि कांग्रेस यात्रा से पहले किसी नए विवाद में नहीं फंसना चाहती है. इसके साथ ही सरदारशहर सीट पर उपचुनाव भी हो रहा है जहां 5 दिसंबर को मतदान होना है और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. 2023 के चुनावों से पहले एक सीट पर उपचुनाव कांग्रेस के लिए अहम साबित हो सकता है.

बीजेपी की जन आक्रोश रैली- 
वहीं दूसरी चुनौती कांग्रेस के लिए दिसंबर में होने वाली बीजेपी की जन आक्रोश रैली बनी हुई है जहां बीजेपी बड़े स्तर पर राजस्थान में राहुल गांधी की यात्रा और गहलोत सरकार के 4 साल पूरे होने पर जनता के बीच जा रही है और बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता हर एक विधानसभा में रथ यात्रा के जरिए जनता के बीच जाएंगे. वहीं इस दौरान राज्य में कांग्रेस सरकार की नाकामियों और मोदी सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं के बारे में जनता को जानकारी दी जाएगी. बताया जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी का बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं से आमना-सामना भी हो सकता है.

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