राज्यपाल ने राजेन्द्र सिंह(रज्जू भैय्या) विश्वविद्यालय में आयोजित चतुर्थ दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग करते हुये दीपप्रज्ज्वलन कर दीक्षांत समारोह कार्यक्रम का किया शुभारम्भ

प्रयागराज :- राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह में छात्र-छात्राओं को उपाधियों के साथ स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदकों का किया वितरण

दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियों के लिए वर्तमान कार्यों को समाप्ति और अपने सपनों को आकार देने के लिए एक नये अध्याय की शुरूआत का अवसर होता है

राज्यपाल ने सभी उपाधि एवं पदक विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दी

राज्यपाल ने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों व अध्यापकों को ज्ञानवर्धक पुस्तकों से भरे बैग, फल की टोकरी का किया वितरण

पदकों की संख्या में महिलाओं की संख्या अधिक होना नारी सशक्तीकरण का सर्वोत्तम उदाहरण-उप मुख्यमंत्री

राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल मंगलवार को राजेन्द्र सिंह(रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय में आयोजित चतुर्थ दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग करते हुये सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया एवं दीपप्रज्ज्वलन कर दीक्षांत समारोह कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। राज्यपाल ने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों व अध्यापकों को ज्ञानवर्धक पुस्तकों से भरे बैग, फल की टोकरी का वितरण किया। राज्यपाल ने नीति दस्तावेजों व स्मारिका का विमोचन भी किया।  
राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह के अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि त्रिवेणी की पावन धरा पर स्थित प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के चतुर्थ दीक्षान्त समारोह में आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यन्त गर्व का अनुभव कर रही हूँ। उन्होंने सभी को नूतन वर्ष 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण अवसर होते हैं, क्योंकि यह उनके वर्तमान कार्यों को समाप्ति और अपने सपनों को आकार देने के लिए एक नये अध्याय की शुरूआत का अवसर होता है। इसी प्रकार विश्वविद्यालय भी इस कामना के साथ विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान करता है कि उसके द्वारा तैयार किया गया ‘मानव संसाधन’ राष्ट्र की प्रगति में सकारात्मक योगदान प्रदान करेगा। आज के अवसर पर सभी उपाधि एवं पदक विजेताओं को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ। मैं आपके माता-पिता, अभिभावक और इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों को भी बधाई देती हूं।
दीक्षान्त समारोह में कुल एक लाख बतीस हजार तीन सौ इक्हत्तर (1,32,371) विद्यार्थियों को उपाधियां वितरित की गयी हैं। दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक, रजत पदक एवं कांस्य पदकों का वितरण किया गया। पदकों की सूची में बेटियों की संख्या बेटों से ज्यादा है। यह एक सुखद स्थिति है, जो यह दर्शाता है कि हमारे समाज में बेटियां किस प्रकार आगे बढ़ रही हैं। हमारी बेटियों द्वारा प्रदर्शित यह उत्कृष्टता एक विकसित राष्ट्र के रूप में भारत के भविष्य का प्रतिबिंब हैं। समान अवसर मिलने पर प्रायः हमारी बेटियां हमारे बेटों से भी आगे निकल जाती हैं। मैं इन सभी बेटियों को इस उपलब्धि के लिए विशेष रूप से बधाई देती हूँ। उन्होंने सावित्री बाई फूले को याद करते हुए कहा कि वे भारत की पहली महिला शिक्षक थी जबकि उस समय कोई सुविधा उनके पास उपलब्ध नहीं थी और न ही बेटियों की शिक्षा के लिए सामाजिक माहौल ही थी, इस कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया, यह आज की महिलाओं और बेटियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। आज जिस तहस से महिलायें आगे बढ़ते हुए हर क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल कर रही है, उससे लगता है कि आने वाले समय में हर क्षेत्र में महिलाओं की अग्रणी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि प्रो0 राजेन्द्र सिंह का प्रयागराज की धरती से बहुत लगाव था। वेे यहां के इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1939 से 1943 तक विद्यार्थी रहे, जो बाद में यहां के प्रवक्ता, प्राध्यापक और अंत में विभागाध्यक्ष रहे।

आज के अवसर पर मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।
उच्चतर शिक्षा की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका वास्तविक उद्देश्य हमारे युवाओं का चहुंमुखी विकास करना है, जो हमारे विविधताओं से भरे महान राष्ट्र की समृद्धि के लिये आवश्यक है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इसका दर्शन भारतीय लोकाचार में निहित है, जो भारत को बदलने में सीधे योगदान देती है। नई शिक्षा नीति भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगी, इससे विद्यार्थी जाॅब मांगने के बजाय लोगो को स्वयं जाॅब उपलब्ध कराने वालो की श्रेणी में शामिल होेंगे। सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करके भारत को एक वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाने में नई शिक्षा नीति का दर्शन निहित है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जिन छः गांवों को गोद लिया गया है, यह प्रण करें कि उन गांवों में कोई भी बच्चा टी0बी0, कुपोषण का शिकार न हो, उन गांवों में सभी पात्रों को सरकार द्वारा चलायी जा रही सभी योजनाओं का लाभ मिले, यह सुनिश्चित करें। इसके साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जाये कि इन गांवों का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि हम ऐसी शिक्षा विकसित करें जो वैज्ञानिक एवं तकनीकी दक्षता से युक्त, सुदृढ़ एवं प्रतिबद्ध समाज संरचना में अपनी भूमिका निभाये। नये-नये शोध किये जाये। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरी दुनिया प्रभावित है, जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित किसान हुए है। हमें शोध कर ऐसे बीज तैयार करने चाहिए, जो हर मौसम के अनुकूल हो, जिससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो। राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश एक युवा राष्ट्र है, जिसका लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा 35 साल से कम उम्र की आबादी का है। युवाओं को सही शिक्षा, ज्ञान और कौशल प्रदान करके हमें इस विशाल मानव पूंजी को राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में परिवर्तित करने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार द्वारा ऐसे अनेक निर्णय लिए जा रहे हैं, जिनका सशक्त समाज व राष्ट्र निर्माण में दूरगामी परिणाम होगा। देश के सबसे प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार से ऐसे वास्तविक नायकों का सम्मान किया जा रहा है, जिन्हें आज से पहले शायद ही कोई जानता होगा। फल विक्रेता हरेकाला हजब्बा, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा योगदान दिया है, उसे जानकर आप दंग रह जायेंगे। संतरे बेचकर रोजाना 150 रूपये कमाने वाले हरेकाला हजब्बा ने एक प्राइमरी स्कूल खड़ा करवा दिया। आज जो समाज का काम, पर्यावरण संरक्षण, नदियों को बचाने और बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं, उनको पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है, इससे हम सभी लोगो को अच्छा कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
विश्वविद्यालय द्वारा सामुदायिक विकास एवं जागरूकता के कार्य निरन्तर संचालित किये जा रहे हैं। जैसे वृहद टीकाकरण कार्यक्रम, रक्तदान शिविर, गांवों को गोद लेकर विकास करना, आंगनवाड़ी केन्द्रों का विकास। उन्होंने विद्यार्थिंयों से कहा कि आपको अपने सपनों को साकार करने और देश के विकास में योगदान देने के लिए सही दिशा में अपने ज्ञान, कौशल और ऊर्जा को लगाना होगा। स्वच्छ भारत अभियान, कल्याणकारी योजनाओं, सड़कों, एक्सप्रेसवे, बंदरगाहों, एअरपोर्टो के निर्माण से एक नए भारत का निर्माण हो रहा है, जिनके माध्यम से लाखों लोगों के लिये रोजगार सृजन भी हो रहा है। आज के इस पावन अवसर पर आपको यह प्रण करना चाहिए कि आप इस महान राष्ट्र के गौरव का न केवल रक्षण करेंगे, अपितु महान तपस्वियों और वीरों की श्रृंखला को भी आगे बढ़ायेंगे। आपके जीवन का एक अध्याय आज पूर्ण हो गया है, परन्तु वास्तविक जीवन की चुनौतियां अभी आपके सामने आने वाली हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर से यही प्रार्थना है कि विश्वविद्यालय से अर्जित ज्ञान आपको जीवन में आगे बढ़ाये। भारत माता की संतान के रूप में आप अपना बहुमूल्य योगदान समाज और राष्ट्र की सेवा में दें। इसी कामना के साथ मैं एक बार पुनः आप सभी के मंगलमय जीवन की बधाई देती हूँ।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह अत्यंत हर्ष और सम्मान का विषय है कि गंगा, यमुना और अदृष्य सरस्वती के पावन संगम पर स्थित प्रयागराज में प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैय्या) विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुझे दीक्षा साक्षी बनने का अवसर मिला है। आज जिन छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं पदक मिला है, उनको बधाई एवं शुभकामनांए देता हूं तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। आज आप एक नए जीवन की शुरूआत कर रहे है। पदकों की संख्या में महिलाओं की संख्या अधिक होने पर कहा कि यह नारी सशक्तीकरण का एक सर्वोत्तम उदाहरण है। आज शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। शिक्षा के सुधार के लिए हमारी सरकार ने बहुत कार्य किया है। नई शिक्षा नीति के माध्यम से विद्यार्थिंयों अंदर सोच एवं रचनात्मक क्षमता बढ़ाकर सीखने की प्रक्रिया को और अधिक बढ़ाने की ओर ध्यान दिया गया है। इसका उद्देश्य विद्यार्थिंयों का सर्वांगीण विकास करना है। कोविड के समय भी विश्वविद्यालय में समस्त अकादमिक गतिविधियां आॅनलाइन प्लेटफार्म पर जारी रखा गया है। आज डिजिटल लाइब्रेरी से बच्चों को लाभ पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालयों में शोध कार्य बढ़ाये जाने चाहिए। आगे चलकर इस विश्वविद्यालय में कई और नए कोर्स को प्रारम्भ किया जायेगा। उन्होंने विद्यार्थिंयों से कहा कि हमेशा बड़े लक्ष्य का सपना देखना चाहिए और उसको पूरी मेहनत व लगन के साथ उस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष विश्व विद्यालय अनुदान आयोग प्रो0 धीरेन्द्र पाल सिंह, कुलपति डाॅ0 अखिलेश कुमार सिंह सहित अन्य सम्मानित महानुभावों के साथ-साथ छात्र-छात्राएं उपस्थित रही।

 

रिपोर्टर :- अनिल कुमार मौर्य

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