8 अक्टूबर(सू0वि0)/जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के निर्देश के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी पीसी विश्वकर्मा ने जनपद के समस्त किसान भाइयों को अवगत कराया

संत कबीर नगर 08 अक्टूबर(सू0वि0)/जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के निर्देश के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी पीसी विश्वकर्मा ने जनपद के समस्त किसान भाइयों को अवगत कराया है कि माह अक्टूबर में रवि फसल की बुवाई हेतु खेत की तैयारी प्रारंभ हो जाती है। फसलों को सबसे अधिक क्षति रोगो द्वारा होती है। रोग महामारी के रूप धारण कर लेते हैं जो फसल शत-प्रतिशत नष्ट हो जाती है। फसलों में रोग बीज, मृदा, वायु एवं कीटों के द्वारा फैलते है। बीज जनित/भूमि जनित रोगों से रबी फसल के के बचाव हेतु बीज शोधन/भूमि शोधन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंनंे बताया कि भूमि जनित रोग दलहनी फसलों में लगने वाले प्रमुख रोग उकठा से बचाव हेतु ट्राईकोडर्मा की 2.5 किग्रा0 मात्रा को 60-70 किग्रा0 सड़ी गोबर की खाद में मिला कर हल्के पानी की छींटा दे कर 8-10 दिन तक छाया मंे रखने के उपरान्त बुवाई के पूर्व अंतिम जुताई के समय खेत में बिखेर कर जुताई करें। इसी प्रकार बीज शोसन (राई/सरसों) तुलासीता रोग सफेद गेरूई रोग एवं झुलसा से निवारण हेतु थीरम 75 प्रतिशत डब्लू0एस0 की 2.5 ग्राम मात्रा और मेटालैक्सिल 35 प्रतिशत डब्लू0एस0 की 02 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा0 बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें।

उन्होंने बताया कि बीज शोसन गेहूॅ/जौ) गेहूॅ/जौ में करनाल बन्ट, अनावृत्त कण्डुआ, बीज जनित रोग होते है। जिनके निदान हेतु बुुवाई से पूर्व बीज का शोधन होना आवश्यक है। बीज शोधन हेतु ट्राईकोडर्मा पाउडर 04 ग्राम प्रति किग्रा0 बीज की दर से अथवा थीरम 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा0 बीज की दर से या कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 02 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा0 बीज की दर से शोधित कर बुवाई करें। बीज शोधन(चना/मटर/मसूर) बीज जनित रोगों के नियत्रण हेतु ट्राइकोडर्मा हारजिएनम 2 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 4 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा0 बीज की दर से बीज शोधन कर बुवाई करें। इसी प्रकार रासायनिक बीज शोधन हेतु थीरम 75 प्रतिशत की 02 ग्राम मात्रा या कार्वेण्डाजिम 50 प्रतिशत की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा0 बीज की दर से बीज को शोधित कर बुवाई करें।

उन्होंने बताया कि गन्ने में भूमि एवं बीज शोधन व्यूवेरिया वैसियाना की 2.5 किग्रा0 की मात्रा को 60-75 किग्रा0 सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर 8-10 दिन छाया में रखने के उपरान्त बुवाई के पूर्व अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देने से भूमिगत कीटों तथा दिमक कीट का प्रबन्धक किया जाता है। खड़ी फसल में प्रकोप की दशा में क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 की 3-4 लीटर  अथवा इमिडाक्लोप्रिउ 17.5 प्रतिशत एस0एल0 की 400 मिली0 मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। गन्ने की बुवाई से पूर्व बीज शोधन हेतु कार्वेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू0पी0 की एक ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर गन्ने का बीज शोधन से लाल सड़न रोग से बचाव होता है।

रिपोर्टर मोहम्मद नईम

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