आपसी सौहार्द को बढ़ाने वाला त्योहार है होली

सिद्धार्थनगर : हमारे पर्व सनातन थे, पौराणिक थे। सनातन व पौराणिक बने रहे इसमें अपनी भूमिका निभानी होगी। होली पर्व समाज को एकता के सूत्र में बांधने वाला होता है। होली के दिन लोग गिले शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर गले मिलते हैं।आपसी सौहार्द को बनाने वाला पर्व है। इसलिए सबसे खास माना जाता है। ये बातें आरएसएस के विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश ने कलक्ट्रेट परिसर में आरएसएस की नगर इकाई की ओर से आयोजित होली मिलन समारोह में कहीं।

उन्होंने कहा पिछले एक हजार वर्षों में हमारी परंपराओं को तोड़ने के लिए साजिश चली। हमारी पौराणिक आदर्शवादी बातों को काटा गया। स्वाधीनता के बाद हिंदू संस्कृति का संरक्षण करने वाला संगठन अपना काम भी कर रहा है। हिंदू संस्कृति पर जो आघात हुआ उसको सुधारने का प्रयास हो रहा है। आज समाज का क्या दृश्य बना है इस पर विचार करने की जरूरत है।

होली जैसे पवित्र पर्व को कैसे मनाते हैं क्या कपड़े फाड़ना, शराब पीना व मांस खा लेना ही इस पवित्र पर्व को मनाने का तरीका है, इस पर विचार करने की जरूरत है। इस अवसर पर सह नगर संघचालक मुरलीधर अग्रहरि, शिवेंद्र सिंह, ओंकार नाथ पांडेय, अंकित त्रिपाठी, नंदलाल रस्तोगी, मदन सिंह, राकेश मणि त्रिपाठी, रमाकांत पाठक, अनूप, धनंजय आदि रहे।

रिपोर्टर : अभिषेक शुक्ला

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