जनाधार, संगठन एवं मुद्दा विहीन कांग्रेस क्या बिसवां सीट पर वापसी कर पायेगी ?
आर एन सिंह
बिसवां (सीतापुर)। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिले की बिसवां व सीतापुर सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। बिसवां विधानसभा सीट से अभिनव राजा भार्गव व सीतापुर सीट से शमीना शफीक को मैदान में उतारा है। पिछले दशकों में कांग्रेस के बिगड़ते नेतृत्व के चलते संगठन व कार्यकर्ता चरमरा गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम पर कुछ ही सिद्धांतवादी लोग कांग्रेस का झंडा उठाये है पर उन्हें भी पार्टी और उनके नेताओं ने कभी भी तवज्जो नही दी। जिससे ऐसे लोगों का अपना वोट तो कांग्रेस में जा सकता है पर पार्टी को जिताने में उनकी निष्ठा लगभग समाप्त हो चुकी है। विगत वर्षों में जब से कांग्रेस सत्ता से उतरी किसान व्यापारी बेरोजगारों की समस्याओं के लिए पार्टी ने उनके लिए खड़े होना गवारा नही किया। कांग्रेस के कुछ मुट्ठी भर लोग इन समस्यों पर ज्ञापन देकर इतिश्री करते रहे। ऐसे में मतदाताओं को पार्टी की ओर कैसे मोड़ेंगे यह एक बड़ा सवाल है। बिसवां सीट पर अभिनव राजा भार्गव का प्रत्याशी होना पहले से ही माना जा चुका था। संगठन कार्यकर्ता विहीन कांग्रेस मतदाताओं पर पकड़ बनाने के लिए कौन सा फार्मूला इस्तेमाल करेगा आने वाला वक्त बतायेगा। इस सीट पर कांग्रेस का सपा, भाजपा और बसपा से सीधे मुकाबला करने की स्थिति में पहुंचना भी एक बड़ा सवाल है वो बात अलग है ग्रामीण क्षेत्रों के बुजुर्ग मतदाता कांग्रेस को तहजीर तो देते है पर उनको इस बात का दर्द भी है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने श्रीमती इंदिरा गांधी के बाद कांग्रेस को हाँसिये पर लाने का काम किया। इसीलिए आज स्वंय कांग्रेस अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। बिसवां सीट का अगर पुराना इतिहास देखा जाए तो 1991 के चुनाव में तीन बार जीत दर्ज कराने वाली श्रीमती पद्मासेठ के बाद यहां कांग्रेस अपना खाता नही खोल सकी। आजादी के बाद हुए चुनाव में इस सीट पर सात बार कांग्रेस का परचम लहराया। जिसमे 1951 में चौधरी मुन्नू लाल, 1957 में राजा सुरेश प्रकाश टिकरा, 1969 में बाबू दयाल श्रीवास्तव,1980 में रामकुमार भार्गव के अलावा 1985-91 तक तीन बार कांग्रेस की पद्मासेठ ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। इसके बाद आज तक कांग्रेस अपना खाता नही खोल सकी। बहरहाल कांग्रेस के लिए इस सीट पर कुछ नया करना लोहे के चने चबाने के बराबर होगा। जहाँ अन्य राजनैतिक दल मतदाताओं को लुभाने में लगे है। वहीं कांग्रेस प्रियंका गांधी की फ़ोटो छपी रसीदों पर सदस्यता अभियान चलाने का काम कर रही है।
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