साल में एक बार पांच साल लगातार खाए दवा और दिव्यांगता से बचे

सीके सिंह(रूपम)

सीतापुर : शुरू में मुझे तेज जाड़ा-बुखार आया, मेडिकल स्टोरी से लेकर दवा खाई बुखार में आराम मिल गया। कुछ समय बाद मेरे दाहिने पैर में लाल रंग के निशान पड़ गए और पैर में सूजन आनी शुरू हो गई। इसके बाद मैंने गांव और आसपास के डॉक्टरों को दिखाया, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाएं लीं, लेकिन आराम नहीं मिला। फिर मैंने सीएचसी पर दिखाया, जहां जांच हुई और डॉक्टर ने बताया कि मुझे फाइलेरिया है। पैर में सूजन और दर्द है, जिस कारण रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं।

यह कहना है हरगांव ब्लॉक के नवीनगर गांव की निवासी इंटरमीडिएट तक शिक्षित उर्मिला देवी का। कुछ ऐसी ही कहानी इसी गांव की सलमा, चंद्रभाल और कुसमा देवी की है।इन लोगों ने बताया कि हमें समय पर बीमारी का पता नहीं चल सका, समुचित दवा नहीं मिल पाई। काश हम लोगों ने भी सरकारी अभियान के दौरान फाइलेरिया से बचाव की दवा खाई होती तो हम लोग आज दिव्यांगता जैसी स्थिति में नहीं होते। इन मरीजों ने लोगों से अपील भी की है कि सरकार की ओर से जब भी फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने का अभियान चलाया जाए तो वह लोग यह दवा जरूर खाएं। इससे वह इस गंभीर बीमारी से बच सकें।

इन मरीजों का यह भी कहना है कि फाइलेरिया (हाथी पांव) से किसी की जान भले ही न जाती हो, लेकिन यह बीमारी मरीज को दिव्यांग जैसा बना देती है।एसीएमओ (वीबीडी) डॉ. राजशेखर ने बताया कि अभी तक फाइलेरिया संक्रमित मरीज को साल में एक ही दिन दवा खानी होगी। उन्होंने बताया कि यदि फाइलेरिया का कोई भी मरीज लगातार पांच सालों तक फाइलेरिया से बचाव की दवा खा ले तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है।

ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेती हैं। रक्त के नमूने की जांच में यह पता किया जाता है कि मरीज के रक्त में परजीवी की संख्या कितनी है। जिसके बाद मरीज का उपचार शुरू होता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा खाली पेट नहीं खानी है। दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार लोगों को यह दवा नहीं खानी। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रिया देखने को मिलती हैं। यह स्वतः: ठीक हो जाते हैं।

फाइलेरिया के लक्षण ---

फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं। अचानक बुखार आना (आमतौर पर  बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन होना, पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना जाती हैमें सूजन फाइलेरिया के लक्षण हैं।

ऐसे करें बचाव --- 

फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।

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