दिव्यांगता प्रमाणपत्र और शासकीय योजनाओं का मिले लाभ तो बने बात

सीके सिंह(रूपम)

सीतापुर : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया (हाथीपांव) दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को दिव्यांग बना रही है। इससे शारीरिक अंगों ही नहीं मानसिक तौर पर मरीज को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार यह बीमारी इस कदर अपना असर दिखाती है कि व्यक्ति के लिए दैनिक क्रियाएं और रोजमर्रा के काम करना भी मुश्किल हो जाता है। पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाता है।

हर साल तीन दिसंबर को दिव्यांग लोगों के लिए समर्पित अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उदेश्य दिव्यांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उनको अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। इसी दिवस पर फाइलेरिया से दिव्यांग हुए कुछ लोगों ने बातचीत के दौरान यह भी मांग है कि उन्हें भी अन्य श्रेणी के दिव्यांगों की तरह सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाए। 

फाइलेरिया मरीजों को जागरूक करने में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था कर रही है। सीफार संस्था ने जिले के हरगांव ब्लॉक में पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत अभियान की शुरूआत की है। ब्लॉक के विभिन्न गांवों में फाइलेरिया रोगी नेटवर्क का गठन कर फाइलेरिया रोगियों को जागरूक करने और स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का काम किया जा रहा है। दिव्यांग लोगों के लिये समर्पित अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर इन फाइलेरिया मरीजों ने दिव्यांगों दिव्यांगों के समर्थन में अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है। पेश है इन मरीजों से बातचीत के अंश -
हरगांव ब्लॉक के नवीनगर गांव की 40 वर्षीया उर्मिला देवी का कहना है कि वह पिछले दस सालों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं, बहुत इलाज कराया लेकिन पैर की सूजन कम नहीं हुई।

पैर का वजन दस किलो से अधिक हो गया है। घर-गृहस्थी के काम करना भी मुश्किल हो गया है। लेकिन सरकार हम लोगों को दिव्यांगों की श्रेणी में नहीं मानती है। मेरी सरकार से मांग है कि फाइलेरिया के रोगियों को भी दिव्यांगों की श्रेणी में रखी जाए। 
इसी गांव के 77 वर्षीय चंद्रभाल का कहना है कि वह पिछले 35 सालों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं। एक पैर भी कट गया है, जिस कारण कमाई का जरिया ठप हो गया है। सरकार से मांग है कि उनके जीवनयापन के लिए कोई आर्थिक मदद की जाए या किसी योजना से जोड़कर उनकी कमाई की कोई व्यवस्था की जाए। कई बार प्रयास किया, लेकिन दिव्यांग प्रमाण-पत्र नहीं बन सका, दिव्यांग प्रमाण-पत्र बन जाए तो कई लाभ मिल जाएंगे। 

मुद्रासन गांव के मुनेश कुमार बीते 25-30 सालों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं, उन्हें दाहिने पैर में परेशानी है। इससे उनका उठना-बैठना और चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। वह कोई काम नहीं कर सकते हैं। उनकी सरकार से मांग है कि उनके जीवनयापन के लिए आर्थिक मदद की जाए या किसी योजना से जोड़कर उनकी कमाई की कोई व्यवस्था की जाए। वह सरकार से आवास और शौचालय दिलाए जाने की भी मांग करते हैं। उनका कहना है कि अगर सरकारी योजना के तहत उन्हें ट्राई साइकिल और कमोड वाले शौचालय की व्यवस्था हो जाती तो उनका जीवन कुछ आसान हो जाता।

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