उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ का 51वां राज्य महासम्मेलन , निजीकरण के खिलाफ गरजे बिजली कर्मी
सोनभद्र - उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ के 51वें राज्य महासम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न राज्यों से आए बिजली मजदूरों के शीर्ष नेताओं ने सम्मेलन को संबोधित किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से का. अरविंद राज स्वरूप (उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी, भारती कम्युनिस्ट पार्टी), का. चंद्रशेखर (महामंत्री, उत्तर प्रदेश ट्रेड यूनियन कांग्रेस), का. बैजनाथ सिंह (अखिल भारतीय विद्युत कामगार महासंघ), का. के.डी. त्रिवेदी (झारखंड राज्य बिजली मजदूर नेता), का. वी.के. सिंह (अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश ट्रेड यूनियन कांग्रेस) तथा का. केशव व्यास (राजस्थान बिजली मजदूर नेता) ने सम्मेलन को संबोधित किया।
नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि
उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ पिछले एक वर्ष से पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल निगम के निजीकरण के खिलाफ संघर्षरत है। यह निजीकरण योजना न केवल कर्मचारियों के हितों पर प्रहार है बल्कि आम उपभोक्ताओं, किसानों और संविदा कर्मियों के लिए भी नुकसानदेह साबित होगी।
नेताओं ने चेतावनी दी कि निजीकरण लागू होने पर उपभोक्ताओं को बिजली महंगी मिलेगी,किसानों को मिलने वाली सब्सिडी समाप्त हो जाएगी,हजारों कर्मचारियों की छटनी होगी,संविदा कर्मियों को मिलने वाली सुविधाएं खत्म होंगी।उन्होंने यह भी कहा कि डाउनसाइजिंग के नाम पर संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है,
55 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले कर्मियों को बाहर किया जा रहा है,और 8 घंटे की जगह 12 घंटे काम लिया जा रहा है।साथ ही नेताओं ने बताया कि वर्टिकल व्यवस्था मेरठ, कानपुर, अलीगढ़, बरेली और लखनऊ जैसे शहरों में लागू की जा चुकी है, जिससे अभियंताओं और कर्मचारियों की संख्या घट रही है और असंतोष बढ़ रहा है।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में संघ के मुख्य महामंत्री ने अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें बीते दो वर्षों में कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान हेतु किए गए आंदोलनों, उपलब्धियों, और ऊर्जा प्रबंधन द्वारा निजीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों पर विस्तार से चर्चा की गई। नेताओं ने ऐलान किया कि यदि सरकार ने निजीकरण की नीति वापस नहीं ली, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
रिपोर्टर - कुम्धज चौधरी

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