तसला, फावड़ा और सीमेंट लेकर उतरेगा दलित परिवार — तिकोनिया पार्क में आमरण अनशन की तैयारी, 6 दिन बीतने के बाद भी नहीं दर्ज हुआ मुकदमा
सुलतानपुर : नाबालिग दलित लड़की से छेड़खानी का मामला अब पुलिस और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बन गया है। घटना को पूरे छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक न तो मुकदमा दर्ज हुआ है और न ही आरोपी गंगा राम चौबे पर कोई ठोस कार्रवाई की गई है। पीड़िता के परिवार ने बताया कि वे लगातार थाने के चक्कर लगा रहे हैं, मगर हर बार उन्हें सिर्फ यही कहा जाता है कि “जांच चल रही है।” परिवार का आरोप है कि थाना पुलिस आरोपी को संरक्षण दे रही है और जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। थाना की उपेक्षा और आरोपी पक्ष की धमकियों से त्रस्त होकर पीड़िता की माँ अपने परिजनों के साथ छिपते-छिपाते डीएसपी कार्यालय पहुँची। वहाँ उन्होंने फूट-फूटकर अपनी पीड़ा बताई और न्याय की गुहार लगाई। परिवार ने जिला प्रशासन को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था कि यदि निर्धारित समय में कार्रवाई नहीं हुई, तो वे तिकोनिया पार्क में “तसला, फावड़ा और सीमेंट लेकर धरना-प्रदर्शन” करेंगे। अब 24 घंटे बीत चुके हैं और कार्रवाई न होने पर परिवार ने एलान किया है कि अगर 5 नवंबर तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ, तो पूरा दलित परिवार आमरण अनशन पर बैठेगा। पीड़िता की माँ ने कहा, हम गरीब दलित हैं, लेकिन इंसाफ के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे। अगर न्याय नहीं मिला, तो तिकोनिया पार्क में खुद के लिए दीवार बना लेंगे वही हमारी आवाज होगी।” इधर, ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों में भी रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि थाना प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है और आरोपी को बचाने का प्रयास स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। महिला संगठनों में उबाल: बृहस्पतिवार को जिले के कई महिला संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर पीड़िता के समर्थन में आवाज बुलंद की। महिलाओं ने कहा कि “अगर बेटी को न्याय नहीं मिला, तो अब बेटियाँ ही सड़कों पर उतरेंगी।” गुलाबी गैंग की प्रमुख संपत पाल के शुक्रवार को सुलतानपुर पहुँचने की संभावना जताई जा रही है। उनके आने से आंदोलन को बड़ा समर्थन मिल सकता है। महिलाएँ “बहन-बेटियों की इज्जत बचाओ” अभियान के तहत तिकोनिया पार्क में सामूहिक धरना देने की तैयारी में हैं। ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा दलित परिवार की आबरू की कीमत आज भी तसला, फावड़ा और सीमेंट में तोली जा रही है। न्याय की उम्मीद में यह परिवार थक गया है, पर हिम्मत नहीं हारी।”अब सवाल उठता है: आखिर 6 दिन बाद भी इस संवेदनशील मामले में मुकदमा दर्ज क्यों नहीं हुआ? क्या दलित परिवार को न्याय दिलाना प्रशासन की प्राथमिकता नहीं रह गई है? स्थानीय जनता और सामाजिक संगठनों की मांग: आरोपी गंगा राम चौबे की तत्काल गिरफ्तारी थाना पुलिस की भूमिका की उच्चस्तरीय जांचपीड़िता और परिवार की सुरक्षा की गारंटी अब सबकी निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं — कि क्या वो न्याय दिलाने आगे आएगा, या फिर दलित परिवार को तसला-फावड़ा लेकर सड़कों पर उतरने को मजबूर करेगा
रिपोर्टर : दिनेश सिंह अग्निवंशी


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