गुजरात की उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था

गुजरात  : कमलेश डाभी (राजपूत)पाटन , शिक्षा एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से इंसान ज्ञान, अनुभव, कौशल और स्वस्थ दृष्टिकोण प्राप्त करता है। ऋग्वेद में "शिक्षा को एक व्यक्ति को आत्मनिर्भर साथ ही निस्वार्थ बनाने वाली शक्ति के रूप मे माना जाता है।" नेल्सन मंडेला जी ने कहा था "शिक्षा वो शक्तिशाली हथियार है जिससे आप पूरी दुनिया बदल सकते हो।"आज रोटी, कपड़ा और मकान के साथ बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य भी इंसान की मूलभूत इकाई बन चुका है। किसी भी राज्य का भविष्य और विकास उसकी शिक्षा ,स्वास्थ्य और सरकार की प्रशासनिक नीतियों पर निर्भर करती है। भारत एक राज्यों का संघ है जिसमे कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश शामिल है लेकिन हर राज्य की विकास दर अलग रहती है। कुछ राज्य आज भी पिछड़े राज्य में गिने जाते है और कुछ राज्य बेहतर प्रगति के साथ आगे बढ़ रहे हैं। गुजरात शिक्षा, नवाचार और आर्थिक विकास के मामले में भारत का एक अग्रणी राज्य है।

गुजरात में कुल 52000 से ज्यादा स्कूल, 68 विश्वविद्यालय, 109 सरकारी कॉलेज, 355 अनुदान प्राप्त कॉलेज, 55 सरकारी और जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट जैसे कई तकनीकी संस्थान है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रद्योगिकी संस्थान , सूरत बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी,अनुसंधान और प्रबंधन संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ विश्वविद्यालय जैसे कई महत्वपूर्ण केंद्र हैं जो गुजरात की शिक्षा को ठोस आधार प्रदान करते है। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क 2021 में गुजरात के तीन विश्वविद्यालय (गुजरात विश्वविद्यालय, दीनदयाल एनर्जी विश्वविद्यालय, महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय) शीर्ष 100 पायदान पर हैं। नीति आयोग के नवीनतम स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, गुजरात ने अपनी राष्ट्रीय स्थिति में दो पायदानों का सुधार किया है। यह अपनी प्राथमिक शिक्षा में सुधार और सरकारी स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए गुजरात के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

विगत 10 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में विशाल आधुनिक परिवर्तन आया है।आज हर क्षेत्र मे शिल्प का स्थान प्रौद्योगिकी ने ले लिया है। इससे उत्पादकता में वृद्धि हुई है। गुजरात में अब परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक और वैकल्पिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है जो राज्य के साथ देश की आर्थिक व्यवस्था को नया आयाम देगा। गुजरात सरकार वर्ष  2020 में शिक्षा के क्षेत्र मे सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विश्व बैंक और एशिया इनफ्रस्ट्रक्चर डेवलपमेंट बैंक द्वारा वित्त पोषित मिशन 'स्कूल ऑफ एक्सीलेंस परियोजना' लेकर आई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उच्च शिक्षण सामग्री,स्मार्ट क्लासरूम, स्टेम लैब जैसी उन्नत भौतिक सुविधाएं और शिक्षा का वैकल्पिक माध्यम प्रदान करना था। विश्व बैंक ने राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे  कदमों की सराहना करते हुए और पूरी परियोजना को सार्थक बताते हुए 500 मिलियन डॉलर की मंजूरी दी है।आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने 'स्टूडेंट स्टार्टअप एंड इनोवेशन पॉलिसी' के माध्यम से एक नया वातावरण तैयार किया जिसका मुख्य उद्देश्य युवा दिमाग के विचारो और नवाचारों को सघन करना है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग(DPIIT) ने इस नीति के लिए गुजरात को 'सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य' के पुरुस्कार से सम्मानित किया है।

गुजरात को भारत के शिक्षा केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने  निरंतर कई महत्वपूर्ण कदम लिए है। पिछले  दो दशकों में गुजरात ने क्लास रूम टीचिंग प्रैक्टिस को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करते हुए शैक्षणिक प्रशिक्षण के लिए कई चैनल शुरू किए हैं। छात्रों के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा 'जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम' शुरू किया गया। राज्य का लक्ष्य 6-14 वर्ष के आयु के बच्चे के लिए मुफ्त,अनिवार्य और  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इन्ही प्रयासों के कारण पहली से आठवीं कक्षा की ड्रॉपआउट दर वर्ष 2004-05 में 19%से घटकर 2017-18 में 6% तक लाने में सफलता मिली। सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में शिक्षा को गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने स्कूलों को शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर अनुदान आवंटित करने की घोषणा की है। इसके तहत स्कूलों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा होगा और राज्य बेहतरीन शिक्षा की तरफ अग्रसर होगा। गुजरात में DISE(District information system for education) के आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ और मुस्लिम अल्पसंख्यक के बच्चों का नामांकन लगातार बढ़ रहा है और जनसंख्या में दर से ऊपर है। हालांकि कई विद्यालयों में शिक्षकों और प्राचार्यों की अनुपलब्धता के मुद्दे गुजरात की शिक्षा प्रणाली को प्रभावित करने वाले कारक है जिसके लिए राज्य सरकार लगातार हर विद्यालयों मे शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।

 मध्याह भोजन योजना (mid day meal) शुरू करने वाला गुजरात देश का दूसरा राज्य है। इसका मुख्य उद्देश्य स्कूली बच्चों को सभी कार्य दिवसों में मुफ्त भोजन उपलब्ध कराना, नामांकन दर मे वृद्धि करना, स्कूल छोड़ने की दर को कम करना और गरीब माता पिता पर गरीबी के बोझ को कम करना और समाज में जातिगत भेदभाव को कम करना है। साल 2003 से 'कन्या केलवाणी निधि योजना' और 'शाला प्रवेसोत्शव' के तहत राज्य सरकार द्वारा बेटियों की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह योजना मुख्य रूप से बालिका शिक्षा पर केंद्रित है। इस योजना के तहत राज्य सरकार राज्य में लड़कियों की शिक्षा का खर्च उठाएगी और निजी स्कूलों में इस योजना के तहत 50% शुल्क वहन करेगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में स्त्री- पुरुष समानता को बढ़ावा देना और महिला शिक्षा के ड्रॉप आउट राशन को कम करना है। हाल ही में हुए तीन दिवसीय 'शालाप्रवेसोत्सव' और 'कन्या केलवानी महोत्सव' 2022 राज्य भर में आयोजित किया गया। इस दौरान 5.72 लाख से अधिक छात्रों ने पहली कक्षा में प्रवेश लिया। गुजरात शिक्षा के क्षेत्र मे 'गुणोत्सव' और 'प्रवेशोत्सव' जैसी दूरदर्शी परियोजनाओं के साथ फल फूल रहा है। इन्ही कारणों से आज गुजरात का कुल ड्रॉप आउट दर वर्ष 2002 में 37.22% से घटकर 2022 में केवल 3.39% हो गया है। साल 2016 में शुरू की गई 'दूध संजीवनी योजना' कुपोषण से निपटने के लिए गुजरात सरकार की एक अनूठी पहल है। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी तालुकों में बच्चों के स्वास्थ्य  में सुधार करना है। वर्ष 2019-20 में 14जिलों और 52 तालुको के 8958 स्कूलों के कुल 7,68,465 बच्चों को इस योजना के तहत लाभ दिया गया है। 2020 में जब कोरोना महामारी के कारण स्कूल, कॉलेज सब बंद कर दिए गए थे उस समय बच्चों के भविष्य का सोचते हुए राज्य सरकार ने कई सार्थक कदम उठाए जैसे- छात्रों को उपकरणों के साथ और बिना उपकरणों के साथ जोड़ना, नागरिक सेवा केंद्रों और ग्राम कार्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच प्रदान करना, शिक्षक और फील्ड स्टाफ द्वारा घर का दौरा, सहकर्मी शिक्षा को बढ़ावा देना आदि। 

गुजरात सरकार का मुख्य उद्देश्य संस्थागत वास्तुकला, संकृति और प्रक्रियाओं के साथ एक उच्च शिक्षा प्रणाली विकसित करना है जो समानता और समावेश के साथ उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण प्रदान करे। जिससे विद्यार्थियों में महत्वपूर्ण जीवन क्षमता और सामाजिक और नैतिक जुड़ावों की नैतिकता विकसित हो। आज गुजरात हर क्षेत्र मे प्रतिष्ठित राज्य बनकर उभरा है और यह बिना उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था के संभव नहीं है। राज्य द्वारा किए गए सतत प्रयास राज्य की शिक्षा को नया आयाम दे रहे हैं जो राज्य की विकास दर के साथ देश की विकास दर में मदद करेगा।

रिपोर्टर : चंद्रकांत पुजारी

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