आकर्षण का केंद्र बनी, प्राकृतिक रूप से बनी हुई कुटिया ब्रह्मरूपी बसतिका

टीकमगढ़/निवाड़ी जिले कि पृथ्बीपुर विधानसभा क्षेत्र कि ग्राम पंचायत ककावनी में दिगम्बराचार्य गणाचार्य श्री श्री 108 विराग सागर महामुनिराज के शिष्य सनातन जैन धर्म के साधक  जीव कल्याण की भावना रखने वाले किसी भी धर्म जाती में भेद-भाव न करने वाले वात्सल्य के धनी प्रेम और अहिंसा के प्रचारक श्री ब्रह्मरूपी आरपी यदुवंशी जैन जी का हुआ बच्चों द्वारा बनाई गई कुटिया में प्रवेश ब्रह्मरूपी जी विगत कुछ माह से ग्राम ककावनी में विराजमान है उन्होंने ककावनी के कई युवा बुजुर्ग तथा अन्य सभी वर्गों के लोगो मे धर्म का यथार्त रूप बतलाव करते हुए जीव दया का भाव समझाया तथा उनकी प्रेरणा से ग्राम ककावनी के  तथा आसपास के कई लोगो ने शराब मांश अंडा बीड़ी तम्बाखू सिगरेट का त्याग किया है ।

उन्होंने कुछ दिनों पहले एक कल्पना की गाँव मे साधना हेतु एक कुटिया होनी चाहिए जिसमें सारी सामग्री प्राकृतिक हो ।उनकी इस बात को ग्राम के कुछ बच्चो तथा युवाओं जैसे - वीरसिंह दांगी तथा उनके सभी पुत्रगण परिवार,विनोद बाड़ई,विक्रम दांगी,पिंकूँ नामदेव,समकित जैन,आकाश बाड़ई,रामप्रसाद अहिरवार,श्री मति फूला अहिरवार इन सभी लोगो ने तन मन धन से भक्ति पूर्वक कम लागत में प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने वाली तथा पुरानी संस्कृति के प्रति जागरूक करने वाली सुंदर कुटिया को बनाकर तैयार किया है जिसका नाम ब्रह्मरूपी बसतिका रखा गया है जिसका भव्य मंगल बसतिका प्रवेश ब्रह्मरूपी जी के सानिध्य में दिन बुधवार को हुआ है तथा ग्राम वासियो ने ब्रह्मरूपी जी से ग्राम ककावनी में चातुर्मास हेतु निवेदन किया ब्रह्मरूपी बसतिका इन दिनों आकर्षण का केंद्र बनी हुई है , यहां देखने दूर दूर से लोगो का आना जाना लगा हुआ है । ब्रह्मरूपी जी का कहना है कि हर गाँव मे ऐसी लगभग कम से कम10-10 कुटिया होनी चाहिए जिससे कि हम अपने भारत की प्राकृतिक पुरातन संस्कृति को बचा सके उन्होंने कहा प्राकृतिक रूप से बनाई गई कुटिया में ध्यान करना उसकी स्मरण शक्ति में अदभुत बदलाव देखने को मिलाती है।

रिपोर्टर :  साकेत यादव  

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