संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के नए कुलपति प्रो हरे राम त्रिपाठी ने 35 वें कुलपति बने

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी मे आज स्थायी कुलपति के रूप मे लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली के   सर्व दर्शन विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो हरेराम त्रिपाठी जी की नियुक्ति की गयी है।जिनका कार्यकाल तीन वर्षो का होग।विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल के द्वारा यह नियुक्ति की गयी है जिसके आशय का पत्र दिनांक 09 जून 2021 को प्राप्त हुआ है। स्थायी कुलपति प्रो त्रिपाठी ने आज अपरांह 12:00 बजे कुलपति कार्यालय मे कार्यवाहक कुलपति प्रो आलोक कुमार राय से अपना कार्यभार ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व  नवनियुक्त कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने कालभैरव बाबा,बाबा विश्वनाथ जी,माँ अन्नपूर्णा,माँ वाग्देवी आदि का विधि विधान से दर्शन पूजन किया। कार्यभार ग्रहण करने के दौरान दोनो कुलपतियों का स्वागत अभिनंदन चन्दन और माल्यार्पण कर किया गया।

उस दौरान पत्रकारों से कहा कि--
 संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रोफ़ेसर हरे राम त्रिपाठी ने शनिवार को कुलपति कार्यालय में प्रोफेसर आलोक कुमार राय से अपना चार्ज लेते हुए पदभार ग्रहण किया पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ ही विश्व विद्यालय में शिक्षण का स्तर ऊंचा उठना और यहां छात्र हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता होगी उन्होंने नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय परंपरा का ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाएगा स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि रोजगार परक कोर्स खोले जाएंगे , प्राचीन प्रबंधशास्त्र पर पाठ्यक्रम  शुरू करने की बात की उन्होंने विश्वविद्यालय से जुड़े लगभग 1000 महाविद्यालयों के विकास की बात करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत इन संस्थानों का विकास करना है विकास करना है उन्होंने विश्वविद्यालय के मूर्धन्य विद्वानों का जो इस विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे उनके जीवन पर एक वृत्तचित्र डॉक्यूमेंट्री बनाने की बात कही है कि जिस से आने वाली पीढ़ियां उनसे परिचित हो सके और उनका लाभ ले सके और उन्होंने विश्वविद्यालय को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी योजना बताई है उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में प्राचीन वेध शाला और ज्योतिष खगोली गणना के केंद्र हैं जिससे आने वाले समय में इनको विकसित किया जाएगा जिससे विश्वविद्यालय  संस्कृत जगत में एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाएगा और लोग इसको देखने के लिए आयेंगे।ग्रन्थालय को डिजिटलीकरण करने का पूर्णत:प्रयास करेंगे। 

संक्षिप्त परिचय- ज्ञातव्य है कि नवनियुक्त कुलपति प्रो त्रिपाठी जी  का जन्म 1 अगस्त 1966  को मूलत: (कुशीनगर)जनपद के चकिया ग्राम  में हुआ।  

शिक्षा-दीक्षा--- देवरिया से प्रारम्भिक शिक्षा के उपरांत वर्ष 1986 में संस्कृत पढने काशी आये।उत्तर मध्यमा रामाचार्य संस्कृत महा• तथा उच्च शिक्षा(शास्त्री/आचार्य/विद्यावारिधि) इसी विश्वविद्यालय से  नव्य व्याकरण,भारतीय दर्शन,सांख्ययोग,शांकरवेदान्त,न्याय वैशेषिक सहित अन्य विषय मे आचार्य  तथा 2009 मे सर्वाधिक सुवर्ण पदक के साथ उपाधि प्राप्त किये। न्याय शास्त्र के विद्वान प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी के निर्देशन में वर्ष 1986 में शोध/पीएचडी  किये।

कैरियर--वर्ष 1993 में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (रणबीर कैम्प-जम्मू)में अनुसंधान सहायक पद से कैरिअर की शुरुवात करते हुये वर्ष 2001 में लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में अध्यापक नियुक्त होकर वर्ष 2009 में सर्वधर्म विभाग में प्रोफेसर बने तथा विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष,संकायाध्यक्ष,छात्रावास अधिष्ठाता का दायित्व निर्वहन करते हुये आईसीपीआर के गवर्नींग बॉडी के सदस्य एवं अनेकों विश्वविद्यालयों में विभिन बॉडी के सदस्य भी हैं।

सम्मान व पुरस्कार- वर्ष 2003 मे महर्षि वादरायण राष्ट्रपति पुरस्कार,शंकर वेदान्त, पाणिनी सम्मान एवं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से विशिष्ट पुरस्कार के साथ साथ अन्य सम्मान प्राप्त किये हैं।

उपस्थिति-- प्रो रामपूजन पान्डेय,प्रो जितेन्द्र कुमार,प्रो सुधाकर मिश्र,प्रो रमेश प्रसाद,महेंद्र पान्डेय,प्रो हरिप्रसाद अधिकारी,प्रो अमित शुक्ल,डॉ पद्माकर मिश्र,परिक्षा नियन्त्रक विशेस्वर प्रसाद,कार्यवाहक कुलसचिव  केसलाल,सुनिल कुमार तिवारी(कर्मचारी संघ अध्यक्ष)आदि। 
उस दौरान सभी संकायो के अध्यक्ष,विभागाध्यक्ष,अधिकारी एवं कर्मचारी,छात्र आदि उपस्थित थे।

रिपोर्टर : अजय कुमार उपाध्याय

 

 

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