दो बच्चों की मां बन गई इंटरनेशनल बॉडी बिल्डर, किया देश का नाम रोशन
किसी ने सच ही कहा है की अगर ज़िन्दगी में हौसले बुलंद होतो इंसान एक न एक दिन अपने सपनो की मंजिल पा ही लेता है, ऐसे में अगर कुछ कर गुज़रने का जज्बा और जुनून दिल में हो तो फिर कोई भी रुकावट आपको बुलंदियों तक पहुंचने से नहीं रोक सकती. ये उदाहरण उस महिला पर बिलकुल सटीक बैठते हैं जिसपर चूल्हे चौकी की जिम्मेदारी बेहद कम उम्र में ही आ गई थी. बावजूद उसके उसने ना सपने देखना छोड़ा ना उसे पूरा करने का जुनून कम होने दिया. बल्कि अपनी परंपरा और जिम्मेदारियों को निभाते हुए सपने देखना जारी रखा और उसे पूरा करने की हिम्मत भी दिखाई.
राजस्थान की प्रिया सिंह ने थाईलैंड में इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग की चैंपियनशिप जीतकर न सिर्फ देश का नाम रोशन किया. बल्कि हर महिला के लिए प्रेरणा भी बन गई हैं. प्रिया दो बच्चों की मां है. 8 साल की उम्र में प्रिया की शादी हो गयी थी. जिसके बाद उन्होंने अपनी हिम्मत के बलबूते घूंघट से बिकनी तक का सफर तय किया.
घूंघट से बिकिनी तक का सफर तय कर बनी बॉडीबिल्डर- ऐसा बिल्कुल नहीं है कि प्रिया सिंह के रास्ते में कोई रुकावटें नहीं आई. जीवन भर घूंघट में रहने वाली परंपरा से होने के बाद उनका बिकिनी तक का सफर आसान नहीं था. हर कोई उन्हें बुरी नजरों से देखता था, परंपरा तोड़ने को लेकर ताने मारा करते थे लोग. लेकिन प्रिया ने ठान लिया था कि न परंपरा छूटेगी ना सपने टूटेंगे. तभी तो अपनी मेहनत और जज्बे के बलबूते प्रिया सिंह राजस्थान की पहली बॉडी बिल्डर बन गई है और थाईलैंड में उन्होंने इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग के चैम्पियनशिप में ना सिर्फ गोल्ड मेडल जीता बल्कि प्रो कार्ड की हकदार भी बन गई है.
पाबंदियों को दरकिनार कर लक्ष्य साधा निशाना और जीती इंटरनेशनल चैंपियनशिप-
प्रिया सिंह मेघवाल दलित समाज से आती हैं. लिहाजा उन पर पाबंदियां कुछ ज्यादा ही थीं. अंकुश लगाने वालों की भी कोई कमी नहीं थी. उनके मुताबिक वो जिस समाज से आती है वहां बहुएं घूंघट में आती हैं और घुंघट में ही मर जाती हैं. लेकिन उन्होंने इस परंपरा को तोड़ा और बीकानेर के गांव से निकलकर इन्टरनैशनल बॉडी बिल्डर बनने का सपना पूरा किया. ऐसा कर उन्होंने ना सिर्फ राजस्थान बल्कि देश का नाम भी रोशन किया. प्रिया 2 बेटियों की मां है. अपनी सफलता का क्रेडिट वो अपनी बेटी को देती हैं. क्योंकि 9 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद घर की हर एक जिम्मेदारी को संभाल पाना आसान नहीं था. ऐसे में बेटी ने घर की जिम्मेदारियों में उनका साथ दिया.
प्रिया परिवार के गुजारे के लिए घर से बाहर निकली थी ताकि नौकरी कर पेट पाला जा सके. लेकिन फिटनेस सेंटर में काम करते करते उन्हें भी फिटनेस का जुनून सवार हुआ और वो बन गई फिटनेस ट्रेनर. इसके बाद तो उन्होंने इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग में भारत का परचम लहरा दिया. देश के लिए इतना कुछ करने के बावजूद प्रिया को अब तक आर्थिक मदद की दरकार है. वो बताती हैं कि थाईलैंड में इंटरनेशनल चैम्पियनशिप का हिस्सा बनने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा था. जो अब तक वो चुका नहीं पाई है बावजूद उसके उनका लक्ष्य ओलंपिक जीतने का है.
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