जनता से किया वादा नहीं हुआ पूरा- पायलट- लॉरेंस बिश्नोई की तरह बड़ा गैंगस्टर बनना चाहते थे- अतीक के हत्यारे

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1-आदित्य ठाकरे के करीबी ने थामा एकनाथ शिंदे गुट का दामन,,,,,,,,,,,,,,,शिवसेना के ठाकरे समूह के नेता अमेय घोले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में शिंदे समूह में शामिल हो गए. इसके बाद जब पत्रकारों ने दलबदल का कारण पूछा तो अमेय घोले ने सार्वजनिक रूप से आदित्य ठाकरे का नाम लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से नाराजगी जाहिर की और दलबदल का कारण बताया. वह सोमवार (17 अप्रैल) की रात मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे. अमेय घोले ने कहा, 'मैंने अपने इस्तीफे में पार्टी छोड़ने के कारणों को स्पष्ट रूप से लिखा है. इसके अलावा मैंने आदित्य ठाकरे को पहले ही बता दिया था. हमने इसके बारे में बात की थी. सेनाभवन में हम कहीं भी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते थे. हम विधानसभा क्षेत्रों में योग्यता के आधार पर अपना काम कर रहे थे. यह शाखा के माध्यम से काम कर रहा था. हालांकि यह काम करते हुए विभाग के सीनियर हमें परेशान कर रहे थे. हमारे खिलाफ साजिश और उत्पीड़न शुरू हो गया. अमेय घोले ने कहा,
1-आदित्य ठाकरे के करीबी ने थामा एकनाथ शिंदे गुट का दामन,,,,,,,,,,,,,,,शिवसेना के ठाकरे समूह के नेता अमेय घोले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में शिंदे समूह में शामिल हो गए. इसके बाद जब पत्रकारों ने दलबदल का कारण पूछा तो अमेय घोले ने सार्वजनिक रूप से आदित्य ठाकरे का नाम लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से नाराजगी जाहिर की और दलबदल का कारण बताया. वह सोमवार (17 अप्रैल) की रात मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे. अमेय घोले ने कहा, 'मैंने अपने इस्तीफे में पार्टी छोड़ने के कारणों को स्पष्ट रूप से लिखा है. इसके अलावा मैंने आदित्य ठाकरे को पहले ही बता दिया था. हमने इसके बारे में बात की थी. सेनाभवन में हम कहीं भी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते थे. हम विधानसभा क्षेत्रों में योग्यता के आधार पर अपना काम कर रहे थे. यह शाखा के माध्यम से काम कर रहा था. हालांकि यह काम करते हुए विभाग के सीनियर हमें परेशान कर रहे थे. हमारे खिलाफ साजिश और उत्पीड़न शुरू हो गया. अमेय घोले ने कहा, "इस तरह का फैसला थोपने से काम नहीं चलेगा. ये बातें हमने बार-बार आदित्य ठाकरे तक पहुंचाई थी. उनकी ओर से सकारात्मक जवाब आ रहा था कि वे ऐसा करेंगे. हालांकि, उन्हें बहुत देर हो चुकी थी. इसलिए यह निर्णय आज लिया गया.
2-जनता से किया वादा नहीं हुआ पूरा- पायलट,,,,,,,,,,,,,कांग्रेस नेता व राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सोमवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता से किए वादे आज तक पूरे नहीं किए गए हैं. पायलट ने सोमवार को झुंझुनू जिले के टीबा गांव में शहीद की प्रतिमा के अनावरण के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ऐसे में हम किस मुंह से चुनाव के दौरान लोगों के पास जाएंगे और वोट मांगेंगे. पायलट ने कहा, वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं. वह मुझसे बड़ी हैं, लेकिन जब भी कोई राजनीतिक टकराव होता था, वह बराबरी के मोर्चे पर होती थीं. हमने उन्हें हराया था, लेकिन मैंने कभी अपशब्द का इस्तेमाल नहीं किया और न ही भविष्य में करूंगा. कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि भाषण देते समय उन्होंने कभी भी मर्यादा नहीं लांघी.
पायलट ने कहा, मैंने जो भी मुद्दे उठाए हैं, मैंने उन्हें लिखित रूप में दिए हैं. हम भ्रष्टाचार से समझौता नहीं कर सकते। इस राज्य के युवा स्वच्छ राजनीति चाहते हैं. मैंने भाजपा शासन के भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते हुए एक दिन का उपवास किया. एक सप्ताह बीत चुका है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
2-जनता से किया वादा नहीं हुआ पूरा- पायलट,,,,,,,,,,,,,कांग्रेस नेता व राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सोमवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता से किए वादे आज तक पूरे नहीं किए गए हैं. पायलट ने सोमवार को झुंझुनू जिले के टीबा गांव में शहीद की प्रतिमा के अनावरण के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ऐसे में हम किस मुंह से चुनाव के दौरान लोगों के पास जाएंगे और वोट मांगेंगे. पायलट ने कहा, वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं. वह मुझसे बड़ी हैं, लेकिन जब भी कोई राजनीतिक टकराव होता था, वह बराबरी के मोर्चे पर होती थीं. हमने उन्हें हराया था, लेकिन मैंने कभी अपशब्द का इस्तेमाल नहीं किया और न ही भविष्य में करूंगा. कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि भाषण देते समय उन्होंने कभी भी मर्यादा नहीं लांघी. पायलट ने कहा, मैंने जो भी मुद्दे उठाए हैं, मैंने उन्हें लिखित रूप में दिए हैं. हम भ्रष्टाचार से समझौता नहीं कर सकते। इस राज्य के युवा स्वच्छ राजनीति चाहते हैं. मैंने भाजपा शासन के भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते हुए एक दिन का उपवास किया. एक सप्ताह बीत चुका है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
3-बागी नेता शेट्टार को रोकने हुबली जायेंगे- जेपी नड्डा,,,,,,,,,,,,भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मंगलवार को हुबली के दौरे पर जा रहे हैं. नड्डा मंगलवार शाम को हुबली में 2 कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, लेकिन उनके इस हुबली दौरे को पार्टी के दिग्गज नेता रहे जगदीश शेट्टार की बगावत से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. यह माना जा रहा है कि शेट्टार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. इसलिए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वयं उस इलाके के दौरे पर जा रहे हैं. टिकट न मिलने से नाराज राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने सोमवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इसके बाद सोमवार रात को ही भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर शेट्टार की विधान सभा सीट हुबली धारवाड़ सेंट्रल विधान सभा क्षेत्र से महेश तेंगिंकाई को उम्मीदवार घोषित कर दिया. लेकिन शेट्टार लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं, इसलिए भाजपा बड़े पैमाने पर उनके प्रभाव वाले क्षेत्र में डैमेज कंट्रोल की कवायद में भी जुट गई है. भाजपा की कोशिश जहां एक तरफ शेट्टार को उनकी अपनी ही विधान सभा सीट पर उलझाए रखने की है, तो वहीं इसके साथ ही दूसरी तरफ पार्टी यह भी कोशिश कर रही है कि शेट्टार और उनके जैसे बगावत करने वाले अन्य नेताओं के साथ भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं, नेताओं और समर्पित मतदाताओं को जाने से रोका जाए.
3-बागी नेता शेट्टार को रोकने हुबली जायेंगे- जेपी नड्डा,,,,,,,,,,,,भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मंगलवार को हुबली के दौरे पर जा रहे हैं. नड्डा मंगलवार शाम को हुबली में 2 कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, लेकिन उनके इस हुबली दौरे को पार्टी के दिग्गज नेता रहे जगदीश शेट्टार की बगावत से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. यह माना जा रहा है कि शेट्टार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. इसलिए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वयं उस इलाके के दौरे पर जा रहे हैं. टिकट न मिलने से नाराज राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने सोमवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इसके बाद सोमवार रात को ही भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर शेट्टार की विधान सभा सीट हुबली धारवाड़ सेंट्रल विधान सभा क्षेत्र से महेश तेंगिंकाई को उम्मीदवार घोषित कर दिया. लेकिन शेट्टार लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं, इसलिए भाजपा बड़े पैमाने पर उनके प्रभाव वाले क्षेत्र में डैमेज कंट्रोल की कवायद में भी जुट गई है. भाजपा की कोशिश जहां एक तरफ शेट्टार को उनकी अपनी ही विधान सभा सीट पर उलझाए रखने की है, तो वहीं इसके साथ ही दूसरी तरफ पार्टी यह भी कोशिश कर रही है कि शेट्टार और उनके जैसे बगावत करने वाले अन्य नेताओं के साथ भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं, नेताओं और समर्पित मतदाताओं को जाने से रोका जाए.
4-लॉरेंस बिश्नोई की तरह बड़ा गैंगस्टर बनना चाहते थे- अतीक के हत्यारे,,,,,,,,,,,,,,,गैंगस्टर से माफिया और फिर राजनेता बने अतीक अहमद और उनके भाई की बीते शनिवार (15 अप्रैल) को देर रात गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या तीन आरोपियों ने तब की जब दोनों माफिया बंधु पुलिस कस्टडी में रात साढ़े 10 बजे अपना रूटीन मेडिकल चेकअप करवा कर लौट रहे थे. अब इस मामले में गिरफ्तार किए गए हत्यारोपी पुलिस पूछताछ में रोज नए-नए खुलासे कर रहे हैं. आपको को बता दे की इस मामले में पकड़े गए तीन हत्यारों में से एक हत्यारा सनी अतीक अहमद की हत्या करके लॉरेंस विष्णोई जैसा नाम कमाना चाहता था इसीलिए उसने अतीक और उसके भाई अशरफ को बेखौफ होकर कैमरे के सामने गोली मार दी. हत्यारे सनी पर गैंगस्टर के दो केस दर्ज हैं, उस पर एक केस 2016 में हमीरपुर के कुरारा थाने में दर्ज हुआ था जबकि दूसरा 2019 में हमीरपुर के सुमेरपुर थाने में दर्ज हुआ था. जेल में सनी और लवनेश तिवारी की मुलाकात हुई थी और पुलिस को इस मामले की जानकारी मिली थी, इस मामले की जांच अब पुलिस कर रही है, कि दोनों की मुलाकात कब हुई थी, क्या उसके बाद से ही दोनों ने इस तरह का कोई प्लान बनाया.
4-लॉरेंस बिश्नोई की तरह बड़ा गैंगस्टर बनना चाहते थे- अतीक के हत्यारे,,,,,,,,,,,,,,,गैंगस्टर से माफिया और फिर राजनेता बने अतीक अहमद और उनके भाई की बीते शनिवार (15 अप्रैल) को देर रात गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या तीन आरोपियों ने तब की जब दोनों माफिया बंधु पुलिस कस्टडी में रात साढ़े 10 बजे अपना रूटीन मेडिकल चेकअप करवा कर लौट रहे थे. अब इस मामले में गिरफ्तार किए गए हत्यारोपी पुलिस पूछताछ में रोज नए-नए खुलासे कर रहे हैं. आपको को बता दे की इस मामले में पकड़े गए तीन हत्यारों में से एक हत्यारा सनी अतीक अहमद की हत्या करके लॉरेंस विष्णोई जैसा नाम कमाना चाहता था इसीलिए उसने अतीक और उसके भाई अशरफ को बेखौफ होकर कैमरे के सामने गोली मार दी. हत्यारे सनी पर गैंगस्टर के दो केस दर्ज हैं, उस पर एक केस 2016 में हमीरपुर के कुरारा थाने में दर्ज हुआ था जबकि दूसरा 2019 में हमीरपुर के सुमेरपुर थाने में दर्ज हुआ था. जेल में सनी और लवनेश तिवारी की मुलाकात हुई थी और पुलिस को इस मामले की जानकारी मिली थी, इस मामले की जांच अब पुलिस कर रही है, कि दोनों की मुलाकात कब हुई थी, क्या उसके बाद से ही दोनों ने इस तरह का कोई प्लान बनाया.
5-कर्नाटक में यही 84 सीटे तय करेंगी हार और जीत,,,,,,,,,,,,,,,,,कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर सभी राजनीतिक दल खूब मेहनत कर रहे हैं. वहीं जनता का मूड भी अभी भांपना मुश्किल हो गया है. ऐसे में पार्टियों को बहुत मेहनत करनी पड़ रही है. हालांकि कर्नाटक के चुनावी इतिहास में एक ऐसा सीट है, जहां से जीतने वाले विधायक की पार्टी की ही सरकार बनती है. ऐसा आंकड़े बताते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए चुनाव आंकड़ों के अनुसार रॉन उन 84 विधानसभा क्षेत्रों में भी शामिल है, जहां जनता ने 2008 के बाद से हर चुनाव में नई पार्टी को चुना है. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में सार्वजनिक नीति और प्रशासन के एक प्रोफेसर ए नारायण ने कहा,  “ये सीटें राज्य की कुल (224) विधानसभा सीटों का एक बड़ा हिस्सा हैं और कर्नाटक में हर पांच साल में सरकार बदलने का एक कारण यह भी है.  इतनी अधिक स्विंग सीटें हमेशा चुनाव को प्रभावित करती हैं. बीजेपी ने इन 84 सीटों में से 54 सीटों पर जीत हासिल की, जिससे पार्टी 104 सीटों पर जीत हासिल कर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. हालाँकि, इनमें से 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने जनता दल (सेक्युलर) के साथ सरकार बनाई, जिसने इनमें से आठ पर जीत हासिल की. कांग्रेस ने कुल मिलाकर 78 सीटें जीतीं और जद (एस) ने 37 सीटें जीतीं. स्विंग, या फ्लिप सीटों के विश्लेषण से पता चलता है कि लिंगायत बहुल क्षेत्रों और तटीय कर्नाटक में भाजपा इनमें से अधिकांश सीटों पर जीत हासिल करने में सक्षम थी, जबकि दक्षिणी कर्नाटक में जद (एस) ने इनमें से अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की थी.
5-कर्नाटक में यही 84 सीटे तय करेंगी हार और जीत,,,,,,,,,,,,,,,,,कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर सभी राजनीतिक दल खूब मेहनत कर रहे हैं. वहीं जनता का मूड भी अभी भांपना मुश्किल हो गया है. ऐसे में पार्टियों को बहुत मेहनत करनी पड़ रही है. हालांकि कर्नाटक के चुनावी इतिहास में एक ऐसा सीट है, जहां से जीतने वाले विधायक की पार्टी की ही सरकार बनती है. ऐसा आंकड़े बताते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए चुनाव आंकड़ों के अनुसार रॉन उन 84 विधानसभा क्षेत्रों में भी शामिल है, जहां जनता ने 2008 के बाद से हर चुनाव में नई पार्टी को चुना है. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में सार्वजनिक नीति और प्रशासन के एक प्रोफेसर ए नारायण ने कहा, “ये सीटें राज्य की कुल (224) विधानसभा सीटों का एक बड़ा हिस्सा हैं और कर्नाटक में हर पांच साल में सरकार बदलने का एक कारण यह भी है. इतनी अधिक स्विंग सीटें हमेशा चुनाव को प्रभावित करती हैं. बीजेपी ने इन 84 सीटों में से 54 सीटों पर जीत हासिल की, जिससे पार्टी 104 सीटों पर जीत हासिल कर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. हालाँकि, इनमें से 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने जनता दल (सेक्युलर) के साथ सरकार बनाई, जिसने इनमें से आठ पर जीत हासिल की. कांग्रेस ने कुल मिलाकर 78 सीटें जीतीं और जद (एस) ने 37 सीटें जीतीं. स्विंग, या फ्लिप सीटों के विश्लेषण से पता चलता है कि लिंगायत बहुल क्षेत्रों और तटीय कर्नाटक में भाजपा इनमें से अधिकांश सीटों पर जीत हासिल करने में सक्षम थी, जबकि दक्षिणी कर्नाटक में जद (एस) ने इनमें से अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की थी.

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