राजस्थान के कृषि मंत्री ने की काले गेहूं की खेती, 4 गुना मुनाफा देने के साथ ही यह डायबिटीज के लिए फायदेमंद

 

कृषिः किसी भी वस्तु के महत्व जाने बिना व्यक्ति उसका महत्व नहीं देता. चाहें वह वस्तु कितनी भी महत्वपुर्ण क्यों न हो. आमतौर पर किसान गेहूं की खेती करते है लेकिन अब इसकी ऐसी प्रजाति सामने आई है जो वर्तमान में बोई जाने वाली गेहूं के मुकाबले 4 गुना मुनाफा देने वाला है. साथ ही यह डायबिटीज जैसे गंभीर रोग के निदान के लिए भी कारगर है. गेहूं के नए प्रजाती का यह गुण इसके डिमांड को और बढ़ा दिया है. राजस्थान के कृषि मंत्री इसकी खेती कर रहे हैं.

पंजाब में हुआ पेटेंट

पथरीली जमीन में जलवायु के अनुकुल ये नवाचार वाकई किसानों के लिए आय बढ़ाने वाला है. इसका प्रयोग करने वाले लोगों के लिए बेहद स्वस्थवर्धक भी है. पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूट बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट की ओर से किया गया था, जिसका पेटेंट भी कराया गया.

पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने की खेती

काले गेहूं की खेती पंजाब में होती है. लेकिन राजस्थान के पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने भी इसकी खेती शुरू की है. उन्होंने राजस्थान के आंवा से इसकी शुरुआत की है. कृषि मंत्री के अनुसार यह गेहूं मूलतः जापाने गेहूं के साथ ब्रिडिंग करके बनाया गया है. इसमें कोई जनरेटिक छेड़छाड़ नहीं की गई है. इसका बीज 150 रूपये प्रतिकिलों के भाव से उपलब्ध है. वहीं इस फसल का बाजर में भाव 4-6 हजार रूपये क्विंटल है.

काले गेहूं में एंथोसायनिन पिगमेंट की मात्रा 100 से 200 पीपीएम होती है. जबकी साधारण गेहूं में यह मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है. काले गेहूं में बड़ी मात्रा में प्रोटीन,न्यूट्रिएंस, स्टार्च और जिंक की मात्रा भी है. जो रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

जानिए क्या होता है एंथोसायनिन पिगमेंट

एन्थोसायनिन पौधों में पाए जाने वाले लाल-बैंगनी-नीले फ्लेवोनोइड वर्णक को संदर्भित करता है. यह एक पानी में घुलनशील अणु है. इसकी मूल कोर संरचना एक फ्लेवियम आयन है. यह पौधों की संरचनाओं की बाहरी परत में पाया जा सकता है.

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