बडी गाड़ियों की तिरपाल कटिंग कर बढ़ती चोरी पर कब लगेगा अंकुश

बैतूल : जिले कहने को तो पुलिस एक और सख्ती के साथ अपराध पर लगाम कस रही है लेकिन वहीं दूसरी ओर अपराध के बढ़ते ग्राफ कम नहीं हो रहे हैं बल्कि चोरी मारपीट लूट डकैती जैसे मामलों में बढ़ोतरी हो रही है पुलिस का पूरा ध्यान होटल ढाबों पर अवैध शराब बेचने से रोकना है लेकिन शहर में हो रही लूट की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा कुछ ऐसा ही मामला बैतूल जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र का है।

जहां पर इन दिनों बरेठा घाट पर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर बड़ी गाड़ियों से लूटपाट की घटना को अंजाम दिया जा रहा है। अंजाम घटना को देना तो ठीक है लेकिन पुलिस का फिर फरियादी को धमकाना कितना सही है यह तो पुलिस अधीक्षक ही बता पाएंगे। विगत रात सोयाबीन से भरी एक गाड़ी शाहपुर से निकलकर बरेठा घाट तक पहुंची थी कि अचानक रास्ते में कटिंग कर 15 सोयाबीन की बोरियां गायब कर दी गई जिसकी लगभग कीमत 50000 रुपये है।

जिसकी सूचना वाहन मालिक एवं ड्राइवर राजेश प्रजापति ने स्वयं डायल हंड्रेड को दी डायल हंड्रेड पहुंची भी लेकिन डायल हंड्रेड में खानापूर्ति करते हुए वाहन मालिक को धमकाया धमकाया ही नहीं बल्कि एफआईआर करने से मना भी किया। जिसके बाद आरोपी सुबह तक ढावे पर मौजूद रहा लेकिन उसकी किसी ने सुनवाई नहीं की निराश होकर वह वापस लौट गया। जबकि एक और खुद पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी स्पष्ट निर्देश शाहपुर थाना प्रभारी को दे रहे हैं कि बरेठा घाट में जो वाहनों से कटिंग की जा रही है उस वारदात को रोकना है तो फिर शाहपुर थाना प्रभारी और सहायक उपनिरीक्षक पुलिस अधीक्षक की मंशा पर क्यों पानी फेरने का प्रयास कर रहे हैं।

क्या केवल अपनी वाहवाही दिखाना ही पुलिस अधीक्षक को उनका कर्तव्य है। हालांकि पुलिस अधीक्षक के आने के बाद जिले में अनुमान लगाया जा रहा था कि अपराध की घटनाओं पर अंकुश लगेगा लेकिन पुलिस अधीक्षक के निचले स्तर के पुलिस अधिकारी उनकी छवि पर दाग लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। जिससे बैतूल जिले पुलिस कई सवाल जन्म ले रहे हैं अब देखना यह है कि थाना प्रभारी शाहपुर कितनी गंभीरता के साथ कटिंग कि घटना घटित कर लूट मचाने वाले लोगों पर कितनी गंभीरता से कार्रवाई करते हैं या मूकदर्शक बनकर केवल खानापूर्ति करते हैं। वही सबसे मजेदार बात यह है कि अगर कोई भी पत्रकार थाना प्रभारी  खान को दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश करता है तो वह उसका दूरभाष उठा कर बात करना उचित नहीं समझते हैं।

जबकि एक शासकीय की सेवक 24 घंटे जनता की सेवा के लिए मौजूद होता है। ऐसे में कोई बड़ी वारदात या घटना घटित हो जाए तो शाहपुर थाना प्रभारी से कोई कैसे संपर्क करेगा। जब स्वयं व अपना दूरभाष उठाएंगे ही नहीं तो, ऐसे मनमाने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पुलिस अधीक्षक को लगाम कसने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक ऐसे पुलिस अधिकारियों पर लगाम नहीं करेंगे जनता की समस्याओं का निराकरण नहीं होगा।

रिपोर्टर : शैलेंद्र गुप्ता 

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