हमीरपुर: राठ के गांवों में घटिया सामग्री से बन रहे सार्वजनिक शौचालय

राठ के गांवों में घटिया सामग्री से बन रहे सार्वजनिक शौचालय

सरकारी खजाने को ठिकाने लगाने में लगे सचिव व प्रधान

घटिया निर्माण सामग्री में जिले के आला अफसरों की मूक सहमति

राठ(हमीरपुर): विकास खण्ड राठ में गांव गांव बन रहे सार्वजनिक शौचालय में हो रही घटिया सामग्री के इस्तेमाल पर ब्लाक के जिम्मेदारों से लेकर जिले के आला अफसरों की नजरंदाजगी चर्चा का विषय बना हुआ। आनन फानन में घटिया सामग्री से हो रहे सार्वजनिक शौचालय के निर्माण में प्रशासनिक अधिकारियों की मूक सहमति भ्रष्टाचार में संलिप्तता को दिखा रही है। बात अगर की जाए राठ विकास खण्ड की ग्राम पंचायतों में बनने वाले शौचालयों  की तो एक नहीं अपितु अधिकांश ग्रामों में बन रहे शौचालयो में खासी धांधली हो रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत करीब साढ़े पांच लाख रुपया प्रत्येक गांव में सार्वजनिक शौचालय के निर्माण के लिए भेजा गया है। राठ ब्लाक क्षेत्र के 41 ग्राम पंचायतों में शौचालय का निर्माण होना सुनिश्चित हुआ है। अनेकों गांवों में घटिया निर्माण सामग्री से निर्माण कार्य शुरू हो चुका है तो अनेकों गांवों में अभी काम शुरू भी नहीं हुआ है। जबकि शासन की मंशा है कि 22 अक्टूबर तक सभी शौचालय पूर्ण हो जाएं। लेकिन ब्लाक स्तरीय अधिकारियों की मंशा कुछ और ही है। वह शासन के कहे के अनुसार 22 अक्टूबर तक काम पूरा कराने में कहीं सफल भी नजर नहीं आ रहे हैं। बताते चलें कि शौचालय निर्माण में सचिव व प्रधान को सर्वे सर्वा बनाया गया है। यहां बात अगर कमीशन की की जाए तो 10 पर्सेंट प्रधान व 10 पर्सेंट सचिव 5 पर्सेंट जेई और चर्चा तो ये भी है 10 पर्सेंट ऊपर के बड़े अधिकारियों का फिक्स रहता है। तभी तो सचिव से लेकर जिम्मेदार आला अधिकारी तक ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण सामग्री से कराए जा रहे निर्माण कार्य मे अपनी मूक सहमति बनाये रहते हैं। ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण सामग्री में बिना छनी बालू, उपयोगहीन डस्ट, दस एक का मसाला और तीन नम्बर का ईंटा उपयोग में लाकर शौचालय की बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा है। जबकि स्टीमेट में एक नम्बर ईंटा और उच्च गुडवत्ता की निर्माण सामग्री का पैसा जुड़ा हुआ है।

बिल्डिंग निर्माण में तराई की भी अहम भूमिका होती है। तराई वाकई भी समुचित व्यवस्था नहीं हुई है। बतादें कि अधिकतम शौचालयों की बिल्डिंग बीम के ऊपर दीवाल तक बन चुकी है। डस्ट और तीन नम्बर ईंटा के साथ घटिया निर्माण सामग्री से लगभग सभी ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ है। घटिया निर्माण सामग्री की जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को न हुई हो ऐसा सम्भव सा नजर नहीं आ रहा है। लगातार घटिया निर्माण सामग्री से हो रहे शौचालय निर्माण से काम की गुणवत्ता तो खत्म हो ही गयी है साथ ही धांधली में अधिकारियों की स्वरचित ईमानदारी वाली छवि भी हांसिये पर है। लगातार घटिया सामग्री से हो रहे शौचालय निर्माण में कमीशनखोर अफसरों की मूक सहमति बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। विकास खण्ड राठ के ग्राम पंचायतों में बन रहे शौचालयों की निर्माण की लैब टेस्टिंग कराने की जुगत अगर जिले के आला अफसर जुटा लें तो विकास के नाम पर हो रहा करोड़ों का घोटाला तो सामने आ ही सकता है साथ ही घूसखोर भ्रष्ट अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी बेनकाब हो सकती है। लेकिन सिस्टमबाज अफसर कमीशन पाकर जांच करना मुनासिब न समझ चुप्पी साधना ज्यादा उचित समझते हैं। खैर अनेकों गांवों के सैकड़ों ग्रामीण आशा लगाए हैं कि काश वर्तमान में चल रहे इन शौचालय निर्माण में हो रही
धांधली की पोल खुल जाए। शायद किसी ईमानदार अधिकारी का ज़मीर जाग जाए और इन शौचालयों की जांच शुरू हो जाये।

 


रिपोर्टर : पूजा गुप्ता
 

 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.