दुर्गा सप्तशती द्वारा रोग निवारण-
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गरिमा सिंह:
अजमेर, राजस्थान
॥ॐ नमश्चण्डिकायै॥
देवी भागवत् पुराण के अनुसार सप्तशती का हर मंत्र सिद्ध है जिसके नियमित जप से साधक की बाधा दूर होती है। नवरात्र के दिनों में इसका जप विशेष लाभकारी माना गया है। सप्तशती में रोग निवारण के लिए भी मंत्र का उल्लेख किया गया है। जो मंत्र जाप आप करना चाहते हैं उन्हें ग्रहण काल अथवा नवरात्र में १००८ बार दोहराएं। उससे मंत्र शक्तिशाली होगा। शुद्ध उच्चारण करें। मंत्रोच्चार से जो तरंगें निर्मित होती हैं, वे लोग पर असर करती है और लोग समूल नष्ट हो जाता है। मंत्र जप हर रोज १०८ बार करें।
आइए जानें किस मंत्र के जप का क्या लाभ है-
महामारी नाशक मंत्र-
"जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ॥"
नसों की बिमारी हटाने के लिए-
"ॐ ऊं उमाभ्याम् नम:।।"
नाक की बिमारियों हेतु-
"ॐ यं यमघण्टाभ्यां नमः।।"
आँखों की बिमारियों हेतु मंत्र-
"ॐ शां शाकिनीभ्यां नमः।।"
गले की बिमारियों हेतु मंत्र-
"ॐ चिं चित्रघण्टाभ्यां नमः।।"
जीभ की बिमारियों हेतु मंत्र-
"ॐ सं सर्वमंगलाभ्यां नमः।।"
कान की बिमारियों हेतु -
ॐ दुं द्वां द्वारवासिनीभ्यां नमः।।
आरोग्य कारक मंत्र-
"ॐ हूं सः॥"
दांतों के रोगों पर इलाज-
"ॐ कौं कौमारीभ्याम् नमः॥"
बुखार हटाने हेतु-
"ॐ मुं मुकटेश्वरीभ्यां नमः॥"
रक्तविकार हेतु-
"ॐ पां पार्वतीभ्यां नमः॥"
पेट की बिमारियों के शमन हेतु-
"ॐ शूं शूलधारिणीभ्याम् नमः॥"
हृदय विकार हटाने हेतु-.
"ॐ लं ललितादेवीभ्याम् नमः॥"
गुप्त बिमारियों के लिए मंत्र-
"ॐ गुंह्यमेश्वरीभ्याम् नमः॥"
वायु विकार दूर करने के लिए मंत्र-
"ॐ वं वज्रहस्ताभ्याम् नमः॥"
अल्सर के निवारण हेतु-
"ॐ कां कालरात्रिभ्याम् नमः॥"
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