नारी कैसे अपने शक्ति रूप को जाने:
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आचार्य श्री सत्यम व्यास जी महाराज
वाराणसी, उत्तरप्रदेश
आदिशक्ति मां दुर्गा के तीन गुण हैं सृजन, पालन और संहार। कभी वह सृजन करती हैं तो कभी मां के रूप में पालन करती हैं और कभी अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर महिषासुर जैसे दानवों का संहार करती हैं। आज की नारी देवी दुर्गा के इन्हीं रूपों को साक्षात तौर पर निभा रही है। वह सृजन करती है, मां की हर जिम्मेदारी निभाती है और जब कुछ करने की ठान लेती है तो करके ही मानती है।
जब-जब ईश्वर ने अवतार लिया है तब-तब उनकी शक्ति, उनकी माया उनके साथ आई है। यह माया नहीं होती तो अध्यात्म कैसे होता। ईश्वर खुद शक्ति को मानते हैं। इसी शक्ति में जब वीर गुण होता है तो यह दुर्गा हो जाती हैं। जब तमो गुण प्रखर हो जाता है तो काली कहलाती हैं और जब सत्व गुण का प्रभाव बढ़ जाता है तो ब्रह्मचारिणी बन जाती हैं। आज की स्त्री को भी इन तीनों रूपों को धरने में कोई हिचक नहीं है।
अगर महिलाएं मां दुर्गा के इन अलग-अलग रूपों में मौजूद दिव्य गुणों को अपने जीवन में पूरी तरह से उतार लें तो जीवन में बड़ा बदलाव आ सकता है।
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