अमर शहीद राजगुरु; हँसते-हँसते झूल गये फाँसी के फंदे पर

शहीद भगत सिंह का नाम कभी अकेले नहीं लिया जाता, उनके साथ राजगुरु और सुखदेव का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। और भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, बिस्मिल, सुखदेव आदि क्रांतिकारियों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने वाले राजगुरू का जन्मदिवस है। जी हां वही शिवराम हरि राजगुरु जो महाराष्ट्र के रहने वाले थे। जिन्होंने भारत माता को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाले अंग्रेजों के एक पुलिस अधिकारी को मार गिराया था और भगत सिंह व सुखदेव के साथ ही उन्हें भी 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।शहीद भगत सिंह का नाम कभी अकेले नहीं लिया जाता, उनके साथ राजगुरु और सुखदेव का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। और भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, बिस्मिल, सुखदेव आदि क्रांतिकारियों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने वाले राजगुरू का जन्मदिवस है। जी हां वही शिवराम हरि राजगुरु जो महाराष्ट्र के रहने वाले थे। जिन्होंने भारत माता को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाले अंग्रेजों के एक पुलिस अधिकारी को मार गिराया था और भगत सिंह व सुखदेव के साथ ही उन्हें भी 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे जिले के खेड़ा गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था। उनके पिता का नाम श्री हरि नारायण तथा माता का नाम पार्वती बाई था। वे बचपन से ही वीर और साहसी थे। उनकी शिक्षा वाराणसी में हुई और यहीं उनका संपर्क क्रांतिकारियों से हुआ था। राजगुरु चंद्रशेखर आजाद से बहुत प्रभावित हुए तथा हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ गए और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया। वे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से भी बेहद प्रभावित थे। वे सबसे अच्छे निशानेबाज माने जाते थे।

जब पुलिस की बर्बर पिटाई से लाला लाजपत राय की मौत हुई तब उनकी मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को गोली मार दी थी और खुद ही गिरफ्तार हो गए थे। 23 मार्च 1931 को उन्हें भगत सिंह तथा सुखदेव के साथ लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर चढ़ाया गया था। राजगुरु को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख क्रांतिकारी माना जाता है।

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू , आज़ाद, बिस्मिल, अशफाक़ जैसे नौजवान क्रांतिकारियों की अमर कहानियाँ आज के नवयुवकों के लिए न सिर्फ प्रेरणाप्रद हैं बल्कि हिम्मत के साथ आगे बढ़ने और राष्ट्रसेवा करने के लिए प्रेरित भी करती हैं और हिम्मत भी देती हैं। आज शिवराम हरि राजगुरू को उनके जन्मदिवस के अवसर पर सी न्यूज़ भारत कोटि-कोटि प्रणाम करता है।

 

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