उगते ही नहीं डूबते सूर्य को भी करे प्रणाम-जानिए अद्भुद फायदे

भगवान सूर्य को उर्जा और प्रकाश का प्रतिक माना जाता है. इसी कारण से भारत में प्राचीन समय से हमारें ऋषि-मुनि सूर्य की पूजा-अर्चना करते आ रहे है. सूर्य पूजा की परम्परा हमारें यहाँ हजारों वर्षो से चलती आ रही है. भारत ही दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो सूर्य को उगते और डूबते दोनों समय में प्रणाम करता है. पंचांग के अनुसार, हर एक दिन किसी न किसी देवी -देवता को समर्पित है. इसी तरह रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। सूर्य देव ब्रह्मांड के कर्ताधर्ता ही नहीं है बल्कि नवग्रहों के राजा भी है. इसलिए रोजाना सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसलिए सुबह-सुबह उगते हुए सूर्य को प्रणाम करने के साथ स्नान आदि करने के बाद अर्घ्य देना चाहिए. जानिए सूर्य देव को अर्घ्य देने की सही विधि के साथ मंत्रों के बारे में.

सूर्य देव की पूजा करने के लाभ

अगर कुंडली में सूर्य की दशा खराब हो तो रविवार का व्रत रखना बेहद लाभकारी होता है. सूर्य देव की उपासना से कष्टों से मुक्ति मिलती है. सूर्य की आराधना से व्यक्ति को बल, बुद्धि के साथ सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे जीवन में अपार सफलता मिलती है. सूर्य उपासना कुष्ट रोग जैसी बीमारी में भी लाभदायक होता है. सूर्य की पूजा से अहंकार, क्रोध और बुरे विचारों का नाश होता है और मन सकारात्मक बना रहता है.

सूर्यदेव का महत्व 

शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्यदेव की आराधना का अक्षय फल मिलता है. सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. ज्योतिष के अनुसार सूर्य को नवग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया है.  जीवन से जुड़े तमाम दुखों और रोग आदि को दूर करने के साथ-साथ जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ होता हैं. पिता-पुत्र के संबंधों में विशेष लाभ के लिए सूर्य साधना पुत्र को करनी चाहिए. वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है. पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी लेकिन बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी प्रारंभ हो गई. जिसके बाद तमाम जगह पर उनके भव्य मंदिर बनवाए गए. प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के अनेक मन्दिर आज भी भारत में हैं. सूर्य की साधना-अराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिरों में कोणार्क, मार्तंड और मोढ़ेरा आदि हैं.

उगते और डूबते दोनों समय करें पूजा 

सूर्यदेव की न सिर्फ उदय होते हुए बल्कि अस्त होते समय भी की जाती है. भगवान भास्कर की डूबते हुए साधना सूर्य षष्ठी के पर्व पर की जाती है. जिसे हम छठ पूजा के रूप में जानते हैं. इस दिन सूर्य देवता को अघ्र्य देने से इस जन्म के साथ-साथ, किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं. अस्त हो रहे सूर्य को पूजन करने के पीछे ध्येय यह भी होता है कि ‘हे सूर्य देव, आज शाम हम आपको आमंत्रित करते हैं कि कल प्रातःकाल का पूजन आप स्वीकार करें और हमारी मनोकामनाएं पूरी करें. 

कैसे करें सूर्य देव की पूजा
सुबह के समय सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. इसके बाद उगते हुए सूर्य के दर्शन करते हुए जल अर्पित करना चाहिए. इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डाल लें. अब सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके (आपके सामने सूर्य होना हो जिस दिशा में) दोनों हाथों को ऊपर करके धीरे धीरे अर्पित करें. इस जल को आप गमला या फिर किसी बर्तन में कर सकते हैं, जिससे यह आपके पैरों के नीचे न आए. अर्घ्य देने के साथ मंत्र का जाप करें.

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