महावीर स्वामी के विचार आपको 'अर्श से फर्श ' पर ले जाएगी

भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर थे. भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार वर्ष पहले वैशाली गणराज्य के कुण्डग्राम में अयोध्या इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार हुआ था. तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये. महावीर स्वामी ने अपने जीवन में पूरे समाज को हमेशा सत्य और अंहिसा का मार्ग दिखाया है. उन्होंने उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म से नहीं अपने धर्म से महान बनता है. भगवान महावीर ने हर व्यक्ति को अहिंसा, सत्य अचौर्य, बह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करने को कहा है. महावीर जयंती के अवसर पर आइए जानते हैं उनके कुछ अनमोल वचन… 

महावीर स्वामी के उपदेश

भगवान महावीर ने अहिंसा, तप, संयम, पाच महाव्रत, पाच समिति, तीन गुप्ती, अनेकान्त, अपरिग्रह एवं आत्मवाद का संदेश दिया. महावीर स्वामी जी ने यज्ञ के नाम पर होने वाली पशु-पक्षी तथा नर की बाली का पूर्ण रूप से विरोध किया तथा सभी जाती और धर्म के लोगो को धर्म पालन का अधिकार बतलाया. महावीर स्वामी जी ने उस समय जाती-पाति और लिंग भेद को मिटाने के लिए उपदेश दिये.

सत्य –भगवान महावीर ने सत्य को महान बताया है. उनके अनुसार, सत्य इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली है और एक अच्छे इंसान को किसी भी हालत में सच का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. एक बेहतर इंसान बनने के लिए जरूरी है कि हर परिस्थिति में सच बोला जाए.

अहिंसा –दूसरों के प्रति हिंसा की भावना नहीं रखनी चाहिए. जितना प्रेम हम खुद से करते हैं उतना ही प्रेम दूसरों से भी करें. अहिंसा का पालन करें.


देवत्व प्राप्ति  भगवान महावीर ने कहा कि ईश्वर का कोई अलग अस्तित्व नहीं है. सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करने से हर कोई देवत्व को प्राप्त कर सकता है.

दुश्मन – आपकी आत्मा से परे कोई दुश्मन नहीं है. असली दुश्मन स्वयं के भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं: क्रोध, अहंकार, लालच, लगाव और नफरत.

दया – हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है. घृणा से हम ना केवल अपना विनाश करते हैं बल्कि दूसरों के लिए भी कष्टकारी हो सकता है.

क्रोध – क्रोध हमेशा अधिक क्रोध को जन्म देता है और क्षमा और प्रेम हमेशा अधिक क्षमा और प्रेम को जन्म देते हैं. मनुष्य को हमेशा क्षमा और प्रेम का विचार अपनाना चाहिए.इससे जीवन को न केवल सरल किया जा सकता है बल्कि सम्मान से वह सबकुछ पा सकता है.

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