गायत्री मंत्र में छुपा है आपकी सफ़लता की कुंजी, ये मंत्र नहीं फुल मोटिवेशन है, जानिए इसके रहस्यमयी फ़ायदे

हमारें देश में मंत्रों को देवता माना जाता है, ऐसी मान्यता है की जिसने मंत्रो को अपने वश में कर लिया उसने देवतायों को अपने वश में कर लिया. सनातन धर्म में गायत्री मंत्र का विशेष महत्त्व है ऐसा कहा जाता है की कई हजारों वर्षो पहले इसकी रचना महर्षि विश्वामित्र ने की थी. इन्होंने अपने पुरुषार्थ से, अपनी तपस्या के बल से क्षत्रियत्व से ब्रह्मत्व प्राप्त किया .वेद-पुराणों के अनुसार, गायत्री मंत्री एक ऐसा मंत्र है, जो अन्य कई मंत्रों से कहीं अधिक प्रभवाशाली बताया गया है, इसकी महिमा इतनी बताई गई है कि इसे ओम के बराबर माना गया है. ऐसी भी मान्यता है कि गायत्री मंत्र का उच्चारण करने और इसका अर्थ समझने से साक्षात ईश्वर की प्राप्ति होती है. हालांकि गायत्री मंत्र का जप करते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए तभी इस मंत्र का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्यों खास है गायत्री मंत्र का जाप और ये हमारे लिए कितना शुभ फलदायी होता है?

गायत्री मंत्र की रचना किसने की थी?

यदि महर्षि विश्वामित्र न होते तो यह मन्त्र हमें उपलब्ध न होता, उन्हीं की कृपा से, साधना से यह गायत्री-मन्त्र प्राप्त हुआ है. यह मन्त्र सभी वेदमन्त्रों का मूल है- बीज है, इसी से सभी मन्त्रों का प्रादुर्भाव हुआ. इसीलिये गायत्री को 'वेदमाता' कहा जाता है. यह मन्त्र सनातन परम्परा के जीवन में किस तरह अनुस्यूत है तथा इसकी कितनी महिमा है, यह तो स्वानुभव-सिद्ध है. उपनयन-संस्कार में गुरुमुख द्वारा इसी मन्त्र के उपदेश से द्विजत्व प्राप्त होता है और नित्य-सन्ध्याकर्म में मुख्य रूप से प्राणायाम, सूर्योपस्थान आदि द्वारा गायत्री-मन्त्र के जप की सिद्धि में ही सहायता प्राप्त होती है. इस प्रकार यह गायत्री-मन्त्र महर्षि विश्वामित्र की ही देन है और वे इसके आदि आचार्य हैं. अत: गायत्री-उपासना में इनकी कृपा प्राप्त करना भी आवश्यक है. इन्होंने गायत्री-साधना तथा दीर्घकालीन संध्योपासना की तप:शक्ति से काम-क्रोधादि विकारों पर विजय प्राप्त की और ये तपस्या के आदर्श बन गये.

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्.

गायत्री मंत्र का अर्थ

सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करे.

विद्यार्थियों के लिए है इतना लाभदायक

पढ़ने-लिखने वाले बच्चों के साथ यह आम समस्या होती है कि वे याद किया हुआ जल्दी भूल जाते है या फिर पढ़ाई में मन नहीं लगता है, यह माना गया है कि गायत्री मंत्र का उच्चारण करना उनके लिए बहुत ही लाभदायक होता है. जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर होती है उन विद्यार्थियों के लिए गायत्री मंत्र बहुत ही असरकारी होता है. प्रतिदिन गायत्री मंत्र का उच्चारण इन सभी परेशानियों से छुटकारा तो दिलाता ही है साथ ही इससे ज्ञान में भी बढोतरी होती है.

समस्याओं से मिलती है मुक्ति

वर्तमान समय में बिजनस में परेशानी आना, बेरोजगारी, कम आय मिलना, किसी कार्य में सफलता न मिलना आदि इन सभी समस्याओं से गुजरना पड़ता है लेकिन ज्योतिषविद्या में इन सबके लिए गायत्री मंत्र का जप करना असरकारी बताया गया है. अर्थात् जीवन की परशानियों से निपटने के लिए गायत्री मंत्र का उच्चारण अवश्य करें.

सूर्य होता है मजबूत

ज्योतिषविद्या के अनुसार, गायत्री मंत्र विशेषकर सूर्य देव के लिए होता है, इसके उच्चारण कुंडली सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और ज्योतिषविद्या की मानें तो कुंडली में सूर्य का मजबूत होना मान सम्मान और सरकारी कामों के लिए अवश्य है. इसलिए सूर्य को प्रसन्न करने के लिए गायत्री मंत्र का उच्चारण अवश्य करें.

गायत्री मंत्र जाप का समय

मान्यताओं के अनुसार, गायत्री मंत्र का जाप तीन बार करना चाहिए। पहला समय है सूर्योदय से ठीक पहले, दूसरा समय है दोपहर का और तीसरा समय है सूर्यास्त से ठीक पहले.

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