एक दिन की बात है, कि कहानी है...!
अनिरुद्ध उमट समर्थ कवि, कथाकार के रूप में जाने जाते हैं। संगीत, कलाओं में गहरी रूचि रखते हैं। उनकी कविताओं में भावों का बहाव आपके भी एहसासों को जगाने का भरपूर प्रयास करता है। आज सी न्यूज़ भारत के साहित्य में आप सभी सुधी पाठकों के लिए प्रस्तुत है अनिरुद्ध उमट की दो कविताएँ...।
मुआफ़ मत करना
ज़रा भी
कभी भी
लौटता रहा हूँ
तुम्हारे द्वार से
उलटे पाँव
अगर मैं कभी-कभी
द्वार की स्मृति से सनी
लौट आती रही है
दस्तक को जाती हथेली
सोचते उपाय
मारने के तुम मुझे
थक अभी सोए हो
तुम मुझे आलिंगनबद्ध
चुम्बन करते
डबडबाई आँखों
अपना मरना देखते
अभी जागे हो
तुम को मार मैं कहाँ जाऊँगा
मुआफ़ मत करना
खरा न उतरा
अगर मैं तुम्हारी उम्मीदों पर
मेरी उम्मीदों की बात
फिर कभी।।
एक दिन की बात है
कि कहानी है
बड़ी-बी इस उम्र में
लगा रही आँखों में सुरमा
पाँवों में महावर
मेंहदी हाथों में
अली मियाँ पहन रहे शेरवानी
बरसों सहेजी कशीदे की टोपी
तेल पी जूतियाँ
हाथ में सौदे का थैला पुराना
एक दिन की बात है
कि कहानी है
दोनों ने देखे
दो जनाजे।।
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