लगता है फिर से चुनाव आया है, वर्तमान राजनीति का प्रतिबिंब हैं ये शायरी

हमारें देश में गरीबों की बात तब होती हैं जब चुनाव आता हैं, रोजगार और रोटी कपड़ा, मकान की बात तब होगी जब चुनाव आएगा. नेता आते हैं साथ में मीठे-मीठे वादे लाते हैं. कहते बस एक बार और इस बार ग़रीबी दूर, किसान ख़ुस, इस बार पक्का शिक्षा में क्रांति लायेंगे.. नेता कहते हैं अरें मैं तो आप लोगों का बेटा हूँ. नेता ऐसे ही बात करते हैं लेकिन चुनाव जाते ही फ़िर से वो सिंह बन जाते हैं ..इन्ही मुद्दों पर आज आपके लिए एक ख़ास कविता लाये हैं जिसे आप पढ़कर राजनीति के चालबाजों को समझ सके.....

लगता है फिर से चुनाव आया है
नये वायदों का नया बहाव आया है
वही जनता है, वही नेता है
पर लुभाने खातिर कुछ नया उपाय आया है
लगता है फिर से चुनाव आया है

जो कुछ नहीं बन सका
वह हमारा नेता बनेगा
चंद दिनों के खातिर
वो सभी का बेटा बनेगा

गरीबी खत्म की जाएगी
आरक्षण सबको दिया जाएगा
जाति और धर्म भुलाकर सभी वोट देगें
देखो कितना अच्छा-अच्छा फिर से सुझाव आया है
लगता है फिर से चुनाव आया है

कुछ कहते है फिर एक बार
कुछ कहते हैं बदलाव की बयार
हमारा ही हक मारकर,
हमको जिंदगी देने का कोई नया उपाय आया है
लगता है फिर से चुनाव आया है

जितना इन सभी के प्रचार पर खर्च है
उतने में कई एम्स और स्कूल बन जाता
लेकिन जाति और धर्म का मुद्दा अभी अभी तो गर्माया है
लगता है फिर से चुनाव आया है

मनीष तिवारी स्वतंत्र 

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