सनातन रक्षक भगवान परशुराम की जयंती आज, पढ़िए राम से परशुराम बनने की कथा

वैशाख मास की शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम का जन्‍म हुआ था. इसी दिन अक्षय तृतीया का भी पर्व मनाया जाता है. ये दिन बेहद शुभ माना गया है. इस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान परशुराम की पूजा की जाती है. भगवान परशुराम को विष्‍णु भगवान का छठवां अवतार माना जाता है. उन्‍हें 8 चिरंजीवी पुरुषों में एक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी इस धरती पर मौजूद हैं. आज भगवान परशुराम की जयंती पर आपको बताते हैं खास बातें.

माता रेणुका का वध

परशुराम अपने पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे. एक बार उनके पिता ने उन्‍हें मां का वध करने की आज्ञा दी तो परशुराम ने अपनी माता की जान ले ली. हालांकि बाद में उन्‍होंने अपने पिता से ही वरदान मांगकर मां को दोबारा जीवित करवाया.

परशुरामजी ने बना दिया गणेशजी को एकदंत.

भगवान गणेशजी का एक नाम एकदंत है. इसकी वजह यह है कि गणेशजी के एक दांत टूटे हुए हैं. ऐसी कथा है कि एक बार परशुरामजी अपने इष्टदेव भगवान शिवजी से मिलने कैलास पर्वत पर आए तो भगवान गणेशजी ने परशुरामजी का रास्ता रोक लिया. गणेशजी ने कहा कि अभी पिता शिवजी किसी से नहीं मिल सकते हैं. इस पर परशुरामजी शिवजी से मिलने की जिद कर बैठे और फिर गणेशजी के साथ परशुरामजी का महायुद्ध आरंभ हो गया. अंत में क्रोध में आकर परशुरामजी ने परशु से गणेशजी के दांत पर वार कर दिया और इस तरह गणेशजी का एक दांत टूट गया और वह एक दंत कहलाने लगे.

राम से कैसे बने परशुराम 

भगवान परशुराम का जन्म माता रेणुका की कोख से हुआ था. जन्म के बाद इनके माता-पिता ने इनका नाम राम रखा था. बालक राम बचपन से ही भगवान शिव के परम भक्त थे. ये हमेशा ही भगवान की तपस्या में लीन रहा करते थे. तब भगवान शिव ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इन्हें कई तरह के शस्त्र दिए थे जिसमें एक फरसा भी था. फरसा को परशु भी कहते हैं इस कारण से इनका नाम परशुराम पड़ा.

 श्रीकृष्ण को दिया था सुदर्शन चक्र

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था. दरअसर गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण के दौरान भगवान कृष्ण की मुलाकात परशुराम जी से हुई तभ उन्होंने भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था.


अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

अर्थात: अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि, इनका रोज सुबह जाप करना चाहिए. इनके जाप से भक्त को निरोगी शरीर और लंबी आयु मिलती है.

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.