महात्मा बुध की फिलॉसफी, आपके जीवन में ला सकती है बड़ी क्रांति

गौतम बुद्ध ने दुनिया को अहिंसा, करुणा और शांति से जुड़े उपदेश दिए हैं, जो हमारी जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं. बौद्ध धर्म भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और जीवन के अनुभवों पर आधारित है. इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था. सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ को तो पढ़ा ही, राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली. कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता था. सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ. पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ. लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य में चला और सम्यक सुख-शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया. बौद्ध धर्म को दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है. भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी. भारत समेत कई देशों में बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं. बौद्ध धर्म भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और जीवन के अनुभवों पर आधारित है. बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ गौतम था. महान गौतम बुद्ध ने दुनिया को अहिंसा, करुणा और शांति से जुड़े उपदेश दिए हैं. आइये जानते हैं बौद्ध धर्म के अनुसार, गौतम बुद्ध के 10 ऐसे उपदेश, जो हमारी जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं.

गौतम बुध के परम उपदेश 

-  “हर सुबह हम पुनः जन्म लेते हैं, हम आज क्या करते हैं यही सबसे अधिक मायने रखता है.” 

-    जूनून जैसी कोई आग नहीं है, नफरत जैसा कोई दरिंदा नहीं है, मूर्खता जैसी कोई जाल नहीं है, लालच जैसी कोई धार नहीं है.”

-   “जीवन में एक दिन भी समझदारी से जीना कहीं अच्छा है, बजाय एक हजार साल तक बिना ध्यान के साधना करने के.

-    “अगर थोड़े से आराम को छोड़ने से व्यक्ति एक बड़ी खुशी को देख पाता है, तो एक समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह थोड़े से आराम को छोड़कर बड़ी खुशी को हासिल करे.”

-   “हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये.

-    “हर इंसान को यह अधिकार है कि वह अपनी दुनिया की खोज स्वंय करे।”

-   3 चीजें ज्यादा देर तक छुपी नहीं रह सकतीं, वे हैं- सूर्य, चंद्रमा और सत्य. जिस तरह सूर्य रोज प्रत्यक्ष दिखाई देता है, चंद्रमा भी दिखाई देता हैं उसी तरह सत्य कभी न कभी सामने आ ही जाता है. अत: असत्य को अपने आचरण में ना उतारें, उससे दूर रहने में ही मनुष्य की भलाई है.

-  जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है.

-   मनुष्य यह विचार किया करता है कि मुझे जीने की इच्छा है मरने की नहीं, सुख की इच्छा है दुख की नहीं। यदि मैं अपनी ही तरह सुख की इच्छा करने वाले प्राणी को मार डालूं तो क्या यह बात उसे अच्छी लगेगी? इसलिए मनुष्य को प्राणीघात से स्वयं तो विरत हो ही जाना चाहिए। उसे दूसरों को भी हिंसा से विरत कराने का प्रयत्न करना चाहिए .

-   पहले तीन ही रोग थे- इच्छा, क्षुधा और बुढ़ापा। पशु हिंसा के बढ़ते-बढ़ते वे अठ्‍ठान्यवे हो गए. ये याजक, ये पुरोहित, निर्दोष पशुओं का वध कराते हैं, धर्म का ध्वंस करते हैं. यज्ञ के नाम पर की गई यह पशु-हिंसा निश्चय ही निंदित और नीच कर्म है. प्राचीन पंडितों ने ऐसे याजकों की निंदा की है.

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