सत्तू संक्रांति पर्व, स्नान-दान और शुभ कार्यों का दिन

लेख़क- अर्पित सिसोदिया

सत्तू संक्रांति के दिन घर में खाना ना बनाने कि प्रथा है. इस दिन घर के सभी सदस्य सत्तू का सेवन करते हैं. इस दिन सत्तू का दान भी किया जाता है. वैशाख में एक दिन ऐसा है जो बहुत खास माना जा रहा है. ये तारीख है 14 अप्रैल 2023 की. आइए जानते हैं इस दिन क्या विशेष है.

14 अप्रैल को मेष संक्रांति है. इसका मतलब है कि सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष ग्रंथों में अलग-अलग वार और नक्षत्र के मुताबिक संक्रांति का फल बताया गया है. सूर्य के मेष राशि में आने को मेष संक्रांति कहते हैं. मान्यतायों के अनुसार लोग इसे नए साल के रूप में मनाते हैं और इसे सत्तू संक्रांति या आम बोलचाल की भाषा में सतुआ संक्रांति भी कहा जाता है.  हिंदू धर्म में मेष संक्रांति का काफी महत्व है. दरअसल, इस दिन से खरमास का समापन माना जाता है और शुभ कार्यों जैसे शादी विवाह, गृह प्रवेश और घर खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त कि शुरुआत मानी जाती है.इस समय किसान अपनी फसलों की भी कटाई भी करवातें हैं.

सतुआ संक्रांति क्यों कहा जाता हैं?

इस समय किसान अपने फसलों की कटाई करते हैं और इस काम में घर की महिलाएं भी उनका साथ देती है इसलिए सत्तू संक्रांति के दिन घर में खाना ना बनाने कि प्रथा है.सतुआ के सेवन की परंपरा भी यहां सदियों से कायम है. इस दिन प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. वही सत्तू, गुड़, चना, पंखा, जल युक्त मिट्टी का घड़ा, आम का टिकोला, ऋतुफल, नया अन्न आदि का दान करने का पुण्यफलदायक विधान है. इस दिन सत्तू खाने और दूसरे को खिलाने की भी परंपरा है. आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार सत्तू, गुड़ और जल से पूर्ण घड़ा दान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.

बैसाखी के दिन किया जाता है प्रकृति का आभार

बैसाखी मुख्य रूप से पंजाबी समुदाय का त्योहार है. बैसाखी को हिन्दु सौर कैलेंडर पर आधारित, सिख नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है. बैसाखी के दिन किसान अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान और प्रकृति का आभार प्रकट करते हैं. इसी दिन खालसा पन्थ की स्थापना हुई थी.

क्या होता है खरमास?

सूर्य के धनु या मीन राशि में गोचर करने की अवधि को ही खरमास कहते हैं. सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन पर भ्रमण करते हैं तो उसे प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता और शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. गुरु सूर्यदेव का गुरु हैं, ऐसे में सूर्यदेव एक महीने तक अपने गुरु की सेवा करते हैं.सूर्य के मीन राशि में रहने पर एक माह तक खरमास लग जाते हैं. मेष संक्रांति से खरमास खत्म हो जाते हैं. इसके बाद सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, मुंडन और सभी 16 संस्कार शुरू हो जाते हैं.

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