शनिदेव की कुदृष्टि से ये उपाय कर के बच सकते है आप

नवग्रहों में शनि ग्रह का महत्व अधिक होता है. शनि देव की कुदृष्टि से मनुष्य ही नहीं, देवता भी भय खाते हैं. कुंडली में शनि की स्थिति हमारे जीवन पर शुभ व अशुभ प्रभाव डालती है. अगर किसी जातक पर शनि देव की कु दृष्टि होती है, और अगर उसकी कुंडली में शनि दोष हो तो उसके जीवन में कई परेशानियां आती हैं. शनि की कुदृष्टि से जीवन में सुख-शांति नहीं रहती है. इसलिए शनि को प्रसन्न रखने के लिए शास्त्रों में कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं. शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं, शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को जरूर देते हैं. इसलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है.

माता छाया और सूर्य देव के पुत्र शनिदेव को आमतौर पर केवल नकारात्मकता के रूप में ही देखा जाता है लेकिन व्यक्ति के जीवन में शनि के बहुत से सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं. शनि को संतुलन और न्याय का ग्रह कहा जाता है. माना जाता है व्यक्ति द्वारा किये गए सभी अच्छे बुरे कर्मों का फल देने का काम शनिदेव ही करते हैं. इस वजह से उन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की दशा जरूर आती है. शनि देव की विधि- विधान से पूजा करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

सरसों तेल का दिया जलाएं
हर शनिवार शनि देवता कि पूजा की जाती है. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है. हर शनिवार मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं. ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने रखे. अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं. अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें.

हनुमान जी की पूजा
शास्त्रों में हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार व शनिवार का दिन निर्धारित है. शनिवार के दिन शनि देव की भी पूजा की जाती है. शनि देव हनुमान जी से भय खाते हैं क्योंकि जब शनि देव को अपनी शक्तियों पर अहंकार हो गया था, तब हनुमान जी ने उनको सबक सिखाया था. इसी वजह से हनुमान जी की पूजा करने वाले भक्तों पर शनि देव अपनी कुदृष्टि नहीं डालते हैं. इसलिए शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.


शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए करें ये उपाय

-हर शनिवार शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करें। ऐसा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। 

-शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले पीपल के वृक्ष के नीचे कड़वे तेल का दीपक जलाएं। इसके साथ ही दूध अर्पित करें।
-शनिवार के दिन अपने हाथ के नाम का 19 हाथ लंबा काला धागा बांधकर माला बना लें फिर इसे अपने गले में पहनें। ऐसा करने से शनि की अनिष्टता शांत होती है। 

-शुक्रवार की रात काले चने पानी में भिगो दें। उसके बाद शनिवार के दिन ये चने, कच्चा कोयला और लोहे की पत्ती एक काले वस्त्र में बांधकर मछलियों के सामने डाल दें। ऐसा एक साल तक प्रत्येक शनिवार को करें। ऐसा करने से शनि कोप सांत होता है।
-शनिवार के दिन कांसे की कटोरी में तिल का तेल भरें। उसके बाद उसमें अपना प्रतिबिंब देखकर तेल का दान करें।

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