कब है शीतला अष्टमी का व्रत?, जानिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला की विधि-विधान से पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला के स्वरुप को कल्याणकारी माना जाता है। माता गर्दभ में विराजमान होती है। जिसके हाथों में झाड़ू, कलश, सूप और नीम की पत्तियां होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है। यह भोजन सप्तमी तिथि की शाम को बनाया जाता है। यह भोग चावल-गुड़ या फिर चावल और गन्ने के रस से मिलकर बनता है। इसके साथ ही मीठी रोटी का भोग बनता है। हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है। तो चलिए जानते है इस साल कब है शीतला अष्टमी साथ ही शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शीतला अष्टमी 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ- 15 मार्च को सुबह 12 बजकर 09 मिनट से

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 16 मार्च को रात 10 बजकर 04 मिनट पर

शीतला अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक

शीतला अष्टमी 2023 पूजा विधि

अष्टमी के एक दिन पहले यानी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को सुबह-सुबह स्नान आदि करने के बाद घर की रसोई को अच्छें से साफ कर लें। जिससे कि माता शीतला के लिए भोग साफ-सफाई के साथ बना सके। इसके बाद आप माता के भोग के लिए मीठी रोटी और मीठे चावल बना लें। अष्टमी के दिन सूर्योदय में उठकर स्नान कर लें, इसके बाद साथ-सूथरे कपड़े पहन लें। अब मां शीतला का ध्यान करके हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेने के लिए हाथों में फूल, अक्षत और एक सिक्का लेकर संकल्प लें।

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.