ये मौत की शहनाई, सब तुम को बुलाते हैं- ट्रेजडी क्वीन "मीना कुमारी"

बैजू बावरा, परिणीता, साहिब बीवी और ग़ुलाम और पाकीज़ा जैसी फ़िल्मों में अपनी अदाकारी से हिंदी सिनेमा की 'ट्रेजडी क्वीन' का ख़िताब पाने वाली अभिनेत्री मीना कुमारी के पास सब कुछ था; नाम, दौलत, शोहरत सब कुछ मगर सब होने पर भी अगर कुछ ऐसा रहा जो उनके पास नहीं था वो थी मोहब्बत...। मोहब्बत का आशियाँ बनाने की कोशिश भी की मीना ने कभी बेरुख़ी मिली तो कभी तनहाई तो कभी अकेलापन...। फिल्मों में अदाकारी दिखाते-दिखाते असल ज़िंदगी में मीना कुमारी बस उसे गुज़ारी जा रही थीं। उनकी ज़िंदगी की तनहाई और उनके दिल का दर्द उनकी कलम से निकल कर कभी-कभी कागज़ पर उतर आता था। आज मीना कुमारी के जन्मदिन के मौके पर सी न्यूज़ भारत के साहित्य में पेश है ‘ट्रेजडी क्वीन’ की कुछ ग़ज़लें और अशआर...।

 

चांद तन्हा है आसमां तन्हा,
दिल मिला है कहां कहां तन्हा।

बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआं तन्हा।

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा।

हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहां तन्हा।

जलती बुझती सी रौशनी के पर,
सिमटा सिमटा सा एक मकां तन्हा।

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा।।

आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता,
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता।

जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही,
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता।

हंस हंस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकड़े,
हर शख़्स की क़िस्मत में ईनाम नहीं होता।

बहते हुए आंसू ने आंखों से कहा थम कर,
जो मय से पिघल जाए वो जाम नहीं होता।

दिन डूबे हैं या डूबे बारात लिये क़श्ती,
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता।।

यूं तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे,
काँधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे।

बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजा कर,
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे।

बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे,
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे।

तू ने भी हम को देखा हमने भी तुझको देखा,
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे।।

ये रात ये तन्हाई
ये दिल के धड़कनों की आवाज़।

ये सन्नाटा
ये डूबते तारों की

ख़ामोश गज़ल ख़्वानी
ये वक़्त की पलकों पर

सोती हुई वीरानी।
जज़्बात-ए-मुहब्बत की

ये आख़िरी अंगड़ाई
बजाती हुई हर जानिब

ये मौत की शहनाई।
सब तुम को बुलाते हैं

पल भर को तुम आ जाओ।
बंद होती मेरी आंखों में

मुहब्बत का
एक ख़्वाब सजा जाओ।।

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