क्यों मनाया जाता है बड़ा मंगल, जानिए इसका इतिहास और महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है और हर एक दिन किसी न किसी भगवान की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि यदि प्रत्येक दिन में ईश्वर की भक्ति की जाती है तो पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. इसी कड़ी में एक विशेष दिन आता है जिसे हम बड़ा मंगल के नाम से जानते है. बड़ा मंगल बजरंगबली का दिन होता है. इस बड़े मंगलवार को अधिकतर लोग एक पर्व के रूप में मनाते हैं. यह मंगलवार हर साल ज्येष्ठ माह के पहले मंगल को मनाया जाता है. इस दिन अत्याधिक महत्व माना जाता है, क्योंकि इस दिन मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के परम भक्त श्री हनुमान जी की पूजा बहुत ही श्रद्धा के साथ की जाती है. वहीं मान्यता है कि, इस दिन ऐसा करने से व्रती के सभी संकट दूर हो जाते हैं और उसके जीवन में किसी प्रकार की भी बाधा ना आते हुए केवल मंगल ही मंगल होता है.

बड़ा मंगल का क्या है इतिहास?

मान्यताओं के अनुसार, बड़े मंगलवार के पर्व को हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग मनाते हैं. कहते हैं कि बड़े मंगल का प्रारंभ 400 वर्ष पूर्व अवध के नवाब द्वारा किया गया था. इसके पीछे की कहानी यह है कि एक बार नवाब मोहम्मद अली शाह के पुत्र बहुत बीमार पड़ गए. तब उनकी बेगम ने अपने पुत्र का इलाज कई जगह करवाया परंतु कोई लाभ नहीं हुआ. इसके पश्चात लोगों ने बेगम को अपने पुत्र की कुशलता के लिए लखनऊ के अलीगंज में स्थित एक प्राचीन हनुमान मंदिर में जाने और वहां मन्नत मांगने की सलाह दी. नवाब ने वैसा ही किया और उसके मन्नत के फलस्वरूप नवाब मोहम्मद अली शाह का बेटा भी पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया. इसके बाद फिर नवाब और उनकी बेगम ने मिलकर उस हनुमान मंदिर की पूरी मरम्मत करवाई. मरम्मत कार्य के पूर्ण होने के बाद ज्येष्ठ महीने की तपती गर्मी में हर मंगलवार को शहर वासियों को पानी और गुड़ का वितरण करवाया गया. इसके बाद से ही वहां बड़ा मंगल मनाया जाने लगा.

कोई नहीं रहता भूखा

बदलते समय के साथ भंडारों का ट्रेंड भी बदला है. पहले जहां भंडारे के प्रसाद के तौर पर गुड़धनिया चना बताशे बेसन के लड्डू बूंदी और शर्बत ही बंटता था. वहीं धीरे-धीरे भंडारे में पूड़ी-सब्जी भी बांटी जाने लगी और अब तो तरह-तरह के व्‍यंजन परोसे जाते हैं. बड़े मंगल पर सूरज के जागने से पहले ही शहर जाग जाता. दिन चढऩे के साथ ही उत्साह उत्सव सी चहलपहल में बदल जाता. जेठ की आग बरसती दुपहरी में भंडारों की तैयारी होती। कैसा भी रास्ता हो, संकरा या चौड़ा, हर चार कदम पर भंडारा लगता. लखनऊ में जेठ के सभी मंगल को कोई भूखा प्यासा नहीं रहता, शायद ही किसी के घर पर खाना बनता हो. बने भी क्यों, जब भंडारे में ही हर तरह का स्वाद मिल जाता है.

क्यों महत्वपूर्ण है बड़ा मंगल 

बड़े मंगल या बुढ़वा मंगल को सभी भक्तों के लिए हनुमान जी की पूजा अर्चना और व्रत आदि का बड़ा महत्व बताया गया है. साथ ही ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले बड़े मंगलवार को कई मंदिरों में भंडारे भी करवाए जाते हैं. मान्यता है कि इस माह के मंगलवारों को जो भक्त बजरंगबली की पूजा और व्रत करता है, उसके जीवन की नकारात्मक दूर होने के साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा शास्त्रों के अनुसार इस दिन सुंदरकांड पाठ और बजरंग वाण करना बड़ा फलदायी माना गया है.

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