बड़े काम का अंगूर
बड़े काम का अंगूर
अंगूर बेहतरीन फल और साथ ही साथ तमाम रोगों के लिए रामबाण पर और आज अंगूर पर पढ़िए कुछ अलग कुछ विशेष
अंगूर की बेल को सावन में लगायें और अपने पूर्वजों की तरह आने वाली पीढ़ी तक भी इनके लाभ पहुंचायें
अंगूर संस्कृत में द्राक्षा एक फल है। अंगूर एक बलवर्द्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। अंगूर फल माँ के दूध के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। ये अंगूर की बेलों पर बड़े-बड़े गुच्छों में उगता है। अंगूर सीधे खाया भी जा सकता है। सबसे बड़ी बात है कि अंगूर में अमूनन सभी विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो मानव जीवन को स्वस्थ रखने में बड़े उपयोगी हैं। इसमें बसा यानि फैट बिलकुल भी नहीं होता और साथ ही साथ आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इसमें विटामिन सी और विटामिन के बड़े अनुपात में पाया जाता है जो आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता और ह्रदय दोनों को बेहतर रखता है। और सबसे बड़ी बात इसको किसी भी उम्र का इंसान खा सकता है यानि बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग तक।
अंगूर एक बलवर्द्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। अंगूर फल माँ के दूध के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऐसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह रक्त को शुद्ध रखता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढ़ाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिए। अंगूर के सेवन से फेफड़े में जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रुकावट में भी हितकर है। अंगूर का शरबत तो ""अमृत तुल्य"" है।
शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास जूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्राव के समय क्षति हुई है। अंगूर का गूदा " ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। विटामिन "ए" पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकड़न होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है।
अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। एनीमिया में अंगूर से बढ़कर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोड़ा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। अंगूर के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती हैं। अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढ़ता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।
अंगूर की बेल सावन में बड़ी आसानी से लग जाती है और इसके लिए बहुत जगह की भी आवश्यकता भी नहीं पड़ती और आप आसानी से इसको छोटी लगा सकते हैं और ये बहुत जल्दी बढ़ते हुए आपको फल देना शुरू कर देती है। और घर के उपयोग हेतु अंगूर आपको घर की बेल से ही मिल जाएंगे। और अंगूर की बेल जल्दी सूखती और ख़त्म नहीं होती पतछड़ पर सूखती भी है तो फिर हरी भी हो जाती है। तो लगाइये अपने और अपने परिवार के लिए अंगूर की बेल रहिये निरोगी और सौंदर्य से पूर्ण। बड़े काम का अंगूर
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