कल है मां अन्नपूर्णा जयंती , ऐसे करें पूजा , कभी ना खाली होगा आपके घर का भंडार

हमारे घरों में मां अन्नपूर्णा की पूजा भले ही रोज ना की जाती हो मगर हमारे जीवन में मां अन्नपूर्णा का बहुत महत्व है क्योंकि हम अन्न के सहारे ही जीवित रहते है और मां अन्नपूर्णा ही अन्न की देवी है .अन्नपूर्णा देवी हिन्दू धर्म में मान्य देवी-देवताओं में विशेष रूप से पूजनीय हैं. इन्हें माँ जगदम्बा का ही एक रूप माना गया है, जिनसे सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है. इन्हीं जगदम्बा के अन्नपूर्णा स्वरूप से संसार का भरण-पोषण होता है. अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ है- 'धान्य' (अन्न) की अधिष्ठात्री.हर साल  मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. माना जाता है कि इस तिथि पर माता पार्वती ने के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि एक बार पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई और प्राणी अन्न को तरसने लगे थे. तब लोगों के कष्ट को दूर करने के लिए माता पार्वती, अन्न की देवी अन्नपूर्णा के रूप में अवतरित हुई थीं.इस बार अन्नपूर्णा जयंती कल यानी  19 दिसंबर रविवार के दिन पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा की सच्चे दिल से पूजा अर्चना करने से परिवार में कभी अन्न, जल और धन धान्य की कमी नहीं रहती

अन्नपूर्णा जयंती का महत्व

अन्नपूर्णा जयंती का उद्देश्य लोगों को अन्न की महत्ता समझाना है. अन्न से हमें जीवन मिलता है, इसलिए कभी अन्न का निरादर नहीं करना चाहिए और ही इसकी बर्बादी करनी चाहिए. अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई की सफाई करनी चाहिए और गैस, स्टोव और अन्न की पूजा करनी चाहिए. साथ ही जरूरतमंदों को अन्न दान करना चाहिए. मान्यता है कि इससे माता अन्नपूर्णा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बनाकर रखती हैं. ऐसा करने से परिवार में हमेशा बरक्कत बनी रहती है, साथ ही अगले जन्म में भी घर धन धान्य से परिपूर्ण रहता है.

पूजा विधि

अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह सूर्योदय के समय उठकर स्नान करके पूजा का स्थान और रसोई को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प आदि से रसोई के चूल्हे की पूजा करें. फिर मां अन्नापूर्णा की प्रतिमा को किसी चौकी पर स्थापित करें और एक सूत का धागा लेकर उसमें 17 गांठें लगा लें. उस धागे पर चंदन और कुमकुम लगाकर मां अन्नपूर्णा की तस्वीर के सामने रखकर 10 दूर्वा और 10 अक्षत अर्पित करें. अन्नपूर्णा देवी की कथा पढ़ें. इसके बाद माता से अपनी भूल की क्षमा याचना करें और परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें. फिर सूत के धागे को घर के पुरुषों के दाएं हाथ महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर बांधें.पूजन के बाद किसी गरीब को अन्न का दान करें.

 

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