अब चली जायगी असदुद्दीन ओवैसी की सांसदी !

अब चली जायगी असदुद्दीन ओवैसी की सांसदी !

 

हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं अपने बयानों के लिए मशहूर सांसद असदुद्दीन ओवैसी नए नए बयान देते रहते हैं पर कुछ बयान ऐसे भी हैं जिसको लेकर वो सत्त्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के निशाने पर रहते हैं।  

 

पर यहाँ आईएमआईएम प्रमुख एवं हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसी बात कह दी है जिसको लेकर उनकी सांसदी भी जा सकती है। तो पहले जान लें कि आखिर मामला क्या है , 


तो आपको जानकारी देते हुए बता दें कि कल 18 वीं लोकसभा के प्रथम सत्र में सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। जिसमे आईएमआईएम प्रमुख एवं असदुद्दीन ओवैसी जो कि हैदराबाद से तीसरी बार सांसद चुने गए हैं द्वारा शपथ ली जा रही थी

 अपना नंबर आने पर असदुद्दीन ओवैसी ने भी सांसद पद की शपथ ली, लेकिन इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिस पर सियासी बवाल हो गया।

ओवैसी ने शपथ से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ते हुए उर्दू में सांसद सदस्य के रूप में शपथ ली, लेकिन शपथ के बाद उन्होंने 'जय भीम, जय तेलंगाना और जय फलस्तीन' का नारा लगाया। ओवैसे के नारे के बाद कई सांसदों ने हंगामा खड़ा कर दिया। क्योंकि जय भीम और जय तेलंगाना से किसी को कोई भी दिक्कत नहीं थी पर जय फिलिस्तीन बोलना क्सिसि को रास नहीं आया।  


अब जान ले उसके बाद क्या हुआ और कैसे जा सकती है आईएमआईएम प्रमुख एवं हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सांसद पद की सदस्यता 


भारतीय संबिधान के मुताबिक संबिधान के अनुच्छेद 102 के भाग ‘घ’ में लिखा है कि ऐसे संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो दूसरे राष्ट्र के प्रति श्रृद्धा रखता हो। इसी अनुच्छेद  का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध अधिवक्ता हरि शंकर जैन जो वर्तमान में ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि की लड़ाई न्यायालय में लड़ रहे हैं ने ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की गई है। वकील हरि शंकर जैन ने दूसरे राष्ट्र के प्रति आस्था दिखाने के कारण उनकी संसद की सदस्यता रद्द करने की माँग की है। ओवैसी ने लोकसभा में शपथ लेने के बाद जय फिलिस्तीन के नारे लगाए थे हालाँकि इसको  बाद में कार्रवाई के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया था ।


वकील हरि शंकर जैन ने असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ इस मामले में राष्ट्रपति से संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत शिकायत की है। उनके बेटे विष्णु शंकर जैन ने यह जानकारी एक्स के जरिए दी है। उन्होंने बताया है कि हरि शंकर जैन ने ओवैसी की सदस्यता संसद सदस्य के रूप में खत्म करने की माँग की है। ऐसी ही एक शिकायत एक और वकील विभोर आनंद ने भी लोकसभा सचिवालय से की है।


अब जान लेते हैं कि क्या खतरा है असदुद्दीन ओवैसी को और क्या कहता है अनुच्छेद 102 और 103

संविधान के अनुच्छेद 102 में वह व्यवस्थाएं बताई गई हैं, जिनके अंतर्गत किसी संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। अनुच्छेद 102 के भाग ‘घ’  के मुताबिक  कि ऐसे संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी दूसरे राष्ट्र की नागरिकता ले ली है। इसके अलावा उसे इस आधार पर भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि वह दूसरे राष्ट्र के प्रति श्रृद्धा रखता है।


वहीं संविधान का अनुच्छेद 103, अनुच्छेद 102 के तहत किसी संसद सदस्य को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर फैसला सम्बन्धी शक्तियाँ देश के राष्ट्रपति को देता है। इसमें कहा गया है कि यदि अनुच्छेद 102 के तहत अयोग्यता का मामला उठता है इस मामले में इसे राष्ट्रपति को भेजा जाना चाहिए और उसका ही निर्णय अंतिम होगा। इसी अनुच्छेद में कहा गया है कि अयोग्य घोषित करने के लिए राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सलाह लेगा और उसी के अनुसार निर्णय लेगा।

असद्द्दीन ओवैसी के शपथ के बाद जय फिलिस्तीन का नारा लगाने के मामले में संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, “हमारी फिलिस्तीन या अन्य किसी राष्ट्र के साथ कोई दुश्मनी नहीं है। संसद सदस्यों का शपथ लेने के बाद दूसरे देश के समर्थन में नारे लगाना सही है या नहीं, हमें इसके लिए नियमों को देखना होगा।” विरोध के बाद के ओवैसी के जय फिलिस्तीन बोलने को लोकसभा की कार्रवाई के रिकॉर्ड से निकाल दिया गया है।

अब इस मामले में क्या होगा असदुद्दीन ओवैसी  की  सदस्यता  जायेगी या नहीं राष्ट्रपति इस पर क्या निर्णय लेंगे वो फिलहाल समय के गर्भ में निहित है पर एक बात तो है एक सन्देश जाना बहुत जरूरी है हमारा लोकतंत्र जो कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है उसमे इतनी बड़ी जिम्मेदारी वाले दिन ये सब करना किसी अन्य देश का नारा लगाना ये कतई स्वीकार नहीं होगा।  


पर अब समय आ गया है कि संसद के सत्रों के दौरान मर्यादा बनाये रखने पर जोर देना जरुरी हो गया है।  क्योंकि इससे पहले भी लोकतंत्र के मंदिर में खराब शब्दों का उपयोग  हुआ है। किसी विषय को लक्ष्य बनाकर टारगेट करना इस समय चलन में है। फिलहाल लोकतंत्र के मंदिर की शुचिता बनाये रखना बहुत जरुरी है।  जिस पर अब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और लोकसभा अध्यक्ष को ही बड़े कदम उठाने होंगे। तब भी हम आगे बढ़ सकते है।    

 

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