ऐसे करें अश्वगंधा की खेती..

अश्वगंधा एक औषधि हैं. इसकी जड़ , पत्ती , फूल , फल और बीज औषधि के रूप में कम आते हैं. आयुर्वेदिक दवाईयों में इसका उपयोग होता हैं. सभी जड़ी बूटियों में अश्वगंधा सबसे अधिक प्रसिद्ध जड़ी बूटियों में से एक मानी जाती हैं. और इसकी मार्किट में भी बहुत डिमांड होती हैं ऐसे में किसान अश्वगंधा की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. तो चलिए जानते हैं अश्वगंधा की खेती के बारे में...


अश्वगंधा की खेती.. 
अश्वगंधा एक द्विबीज पत्रीय पौधा है जो कि सोलेनेसी कुल का पौधा है। सोलेनेसी परिवार की पूरे विश्व में लगभग 3000 जातियां पाई जाती हैं. और 90 वंश पाए जाते हैं. इसमें से केवल दो जातियां ही भारत में पाई जाती हैं. इस जाति के पौधे सीधे, अत्यंत शाखित, सदाबहार तथा झाड़ीनुमा 1.25 मीटर लंबे पौधे होते हैं. पत्तियां रोमयुक्त, अंडाकार होती हैं. फूल हरे, पीले तथा छोटे एंव पांच के समूह में लगे हुए होते हैं. इसका फल बेरी जो कि मटर के समान दूध युक्त होता है. जो कि पकने पर लाल रंग का होता है। जड़े 30-45 सेमी लम्बी 2.5-3.5 सेमी मोटी मूली की तरह होती हैं. इनकी जड़ों का बाह्य रंग भूरा तथा यह अंदर से सफेद होती हैं.

मिट्टी..
अश्वगंधा को खरीफ (गर्मी) के मौसम में वर्षा शुरू होने के समय लगाया जाता है. अच्छी फसल के लिए जमीन में अच्छी नमी व मौसम शुष्क होना चाहिए. फसल सिंचित व असिंचित दोनों दशाओं में की जा सकती है. रबी के मौसम में यदि वर्षा हो जाए तो फसल में गुणात्मक सुधार हो जाता है। इसकी खेती सभी प्रकार की जमीन में की जा सकती है. लेकिन अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट अथवा हल्की लाल मृदा जिसका पी. एच. मान 7.5-8.0 हो व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त होती है. यह पछेती खरीफ फसल है. पौधों के अच्छे विकास के लिये 20-35 डिग्री तापमान 500-750 मि.मी. वार्षिक वर्षा होना जरूरी है. पौधे की बढ़वार के समय शुष्क मौसम एंव मृदा में प्रचुर नमी की होना आवश्यक होता है.

खेती का सही समय..
अगस्त और सितंबर माह में जब वर्षा हो जाऐ उसके बाद जुताई करनी चाहिए. दो बार कल्टीवेटर से जुताई करने के बाद पाटा लगा देना चाहिए. वहीं नर्सरी तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नर्सरी को सतह से 5-6 इंच ऊपर उठाकर बनाई जाए ताकि नर्सरी में जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो. नर्सरी में गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए. इससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता हैं. 

बुवाई और सिचाई..
नर्सरी में इसके बीजों की बुवाई पक्तियों में करनी चाहिए. इसके बीजों को गहराई  में 1-1.25 सेमी की गहराई में डालना चाहिए. नर्सरी में बीज की बुवाई जून माह में की जाती है। बीजों में 6-7 दिनों में अंकुरण शुरू हो जाता हैं. अश्वगंधा में नियमित समय से वर्षा होने पर फसल की सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन आवश्यकता पडऩे पर इसकी सिंचाई की जा सकती है. सिंचित अवस्था में खेती करने पर पहली सिंचाई करने के 15-20 दिन बाद दूसरी सिंचाई करनी चाहिए.
 

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