हिंदी सप्ताह समारोह का भव्य समापन में जिला के हिंदी कवि सम्मानित हुए

औरंगाबाद : दूनियां में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा को अपने ही देश  में मिल रही उपेक्षा चिन्ता जनक हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनवाने की मांग का प्रस्ताव पारित  जनेश्वर विकास केंद्र, जन विकास परिषद और साहित्य संवाद के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे हिंदी सप्ताह समारोह आज संपन्न हो गया। शहर के श्री कृष्ण स्मृति भवन में भव्य समापन समारोह का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर दिनेश प्रसाद एवं संचालन महोत्सव पुरुष सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने किया। सर्वप्रथम आगत अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जनेश्वर विकास केंद्र के अध्यक्ष राम जी सिंह , साहित्य संवाद के अध्यक्ष लालदेव प्रसाद, एवं कविता विद्यार्थी ने आगत अतिथियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर “हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने में हिंदीभाषियों की भूमिका” विषय पर संगोष्ठी रखी गई जिसका विषय प्रवेश कराते हुए प्रो राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि जनता का प्रयास और सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा बना सकती है । इस विषय  पर वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य अतिथि श्री अशोक सिंह चपरा धाम ने हिंदी की गरिमा को उद्घाटित किया। वरीय अधिवक्ता रसिक बिहारी सिंह ने इस बात पर बल दिया कि अगर हम हिंदीभाषी अनवरत प्रयास करें तो हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखा जाना संभव है। वरीय पत्रकार एवं अधिवक्ता प्रेमेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने के लिए राजनीतिक सहयोग की अपेक्षा विविध भाषियों के बीच आपसी संवाद एवं समन्वय अधिक श्रेयस्कर प्रतीत होता है। प्रो रामाधार सिंह ने कहा कि जिस तरह से सिद्धेश्वर विद्यार्थी प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस का भव्य आयोजन कर जन चेतना भरने का कार्य करते हैं उससे हिंदीभाषियों में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने के लिए अत्यंत जागरूकता बढ़ती है। ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह ने यह स्पष्ट किया कि विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी व्यापक रूप से बोली जाती है इसका बहुत बड़ा विस्तार है जिसके कारण यह राष्ट्रभाषा बनने के योग्य है। डॉ शिवपूजन सिंह ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने का प्रयास एक ओर जन समाज की तो दूसरी ओर राजनीति के क्षेत्र से भी जारी है विभिन्न प्रदेशों के अहिंदीभाषी लोग हिंदी भले ही लिख न पाएँ पर हिंदी समझते जरूर हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता की हिंदी का प्रसारीकरण कम है। शिक्षाविद एवं समाजसेवी रामानुज पाण्डेय ने जोर देखकर यह बात कही कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने के लिए हिंदीभाषी अनवरत प्रयासरत हैं। जरूरत है अन्य भाषाओं की जगह हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करने की। अगर हम अपनी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करने लगेंगे तो इसका क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो जाएगा और वह समय दूर नहीं होगा जब देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा के स्थान पर देखने का गौरव प्राप्त होगा। शिक्षक एवं कवि मुस्ताक जी ने कहा कि पहले स्वयं में हमें हिंदी के शुद्ध रूप का प्रयोग करना होगा। लोगों को इसके लिए जागरूक करना होगा कि वे हिंदी को सही रूप से पढ़ें और लिखें। शिक्षक एवं साहित्यकार डॉ हेरम्ब कुमार मिश्र ने इस ओर संकेत किया कि हिंदी की बहुत बड़ी खासियत यह है कि इसमें जो लिखा जाता है वही बोला भी जाता है जबकि अन्य भाषाओं में ऐसा देखने को नहीं मिलता। हम अगर हिंदी के सही रूप को बोलने और लिखने पर बल दें तो यह लोगों के बीच प्रतिस्थापित होगी। सेवानिवृत्त शिक्षक कालिका सिंह ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने पर जोर देने के लिए हिंदीभाषियों के द्वारा निरंतर जागरूकता पैदा किए जा रहे हैं। अगर यह कार्य बराबर चलता रहा तो शीघ्र ही हिंदी को भारतवर्ष के राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने की आशा की जा सकती है। अंत में सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने भारत सरकार से हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनवाने की मांग का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। अध्यक्षीय भाषण देते हुए प्रोफेसर दिनेश प्रसाद ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा बनने की सभी शर्तों को पूरा करता है तथा दूनिया में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है।कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सेवानिवृत्ति शिक्षक और कवि कालिका सिंह, कवि श्रीराम राय, सेवानिवृत्त हेडमास्टर व कवि शिवनारायण सिंह एवं साहित्यकार व मंच उद्घोषक डॉ हेरम्ब कुमार मिश्र  एवं रामकिशोर सिंह आदि औरंगाबाद के प्रमुख कवियों एवं साहित्यकारों को संस्था के द्वारा माल्यार्पण एवं अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन साहित्य संवाद के अध्यक्ष लालदेव प्रसाद ने किया। इस अवसर पर सत्यचंडी धाम महोत्सव अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, पूर्व पुलिस पदाधिकारी  अशोक सिंह, सिंहेश्वर सिंह, प्रमोद कुमार सिंह, सुरेश ठाकुर,  पंचदेव  धाम महोत्सव के संजय सिंह, शिवकुमार सिंह, संकटमोचन मंदिर शिवगंज के सचिव गोकुल सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता नीलमणि कुमार सिंह , अरुण सिंह, सुरेंद्र सिंह,प्रो ओमप्रकाश सिंह आदि सहित  सैंकड़ों लोगों की गरिमा में उपस्थित रही।

रिपोर्टर : रमाकांत सिंह 

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