राम और भरत मिलन की कथा सुनाई गई

 बांदा :   क्षेत्र के ग्राम मिरगहनी में स्थित सिद्ध स्थल स्वामी वंशदास बाबा के प्रांगण में हो रही 9 दिवसीय श्री राम कथा के सातवें दिन राम और भरत मिलन की कथा सुनाई गई। जहां कथा की जीवंत प्रस्तुति ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कथा वाचक स्वामी लोकेंद्र दास महाराज ने कहा कि भरत ननिहाल से आकर अपने पिता राजा दशरथ का अन्तिम संस्कार कर, अयोध्या से गुरू वशिष्ठ को साथ लेकर तीनों माताओं के साथ वन के लिए प्रस्थान किया। निषादराज से भेंट हुई तब ज्ञात हुआ कि भरद्वाज ऋषि के आश्रम में राम पधारे हैं। ऐसा जान भरत ने मुनि को प्रणाम कर प्रभु श्री राम का कुशल क्षेम पूछा, तब पता चला कि प्रभु श्री राम चित्रकूट में कुटी बनाकर निवास कर रहे हैं। तब भरत जी की यात्रा चित्रकूट के लिए प्रस्थान कर गई। देवताओं ने भरत की सेवा कर भक्तों का मान बढ़ाया। श्री राम भरत को देखकर प्रसन्न हो रहे हैं। राम और भरत का मिलन देख देवता भी फूल वर्षा रहे हैं। सीता ने अपनी सासू माताओं को प्रणाम कर अपने पिता जनक से मिलीं और वशिष्ठ जी के चरणों की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उधर भरत अयोध्या जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं। राम ने भरत को बताया कि पिता के वैकुंठ जाने पर प्रजा की रक्षा हेतु आप हमारी चरण पादुकाओ को अयोध्या की राजगद्दी पर स्थापित करें। ऐसा वचन सुनकर भरत जी को संतोष हुआ। चरण पादुका सिर में धारण कर भरत जी अयोध्या पुन: वापस आ गए और नंदी गांव में कुश का आसन बिछाकर 14 वर्ष अयोध्या के प्रजा की सेवा कर अपनी राम भक्ति का अनूठा प्रदर्शन किया। इसीलिए संतों ने कहा है कि बड़ा भाई हो तो राम जैसा और छोटा भाई हो तो भरत जैसा। इस अवसर पर कार्यक्रम संचालक जितेंद्र भारती नागा बाबा, भाजपा नेता आनन्द स्वरूप द्विवेदी, अनूप तिवारी, पूर्व प्रधान प्रतापनारायण त्रिपाठी, शिक्षक नेता हरवंश श्रीवास्तव, प्रमोद त्रिपाठी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

रिपोर्टर : कासिद अली सिद्दीकी

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