युवाओं ने है ठाना, मॉडल गांव है बनाना मेनिफेस्टो के जरिए बदलाव की बयार लाने की पहल

युवाओं ने है ठाना, मॉडल गांव है बनाना मेनिफेस्टो के जरिए बदलाव की बयार लाने की पहल मॉडल गांव की खूबियों को समुदाय के बीच पहुंचाने में जुटे युवा पिस्टा गांव के संकटा व कोर्रा के अरूण मुहिम में आए आगे

बांदा, 27 मार्च 2021। देश की तरक्की की शुरुआत अपने ही गांव से करने की सोच को लेकर उत्साही युवाओं की टोली का पूरा जोर अब “मॉडल गांव” बनाने पर है। उनका मानना है कि सही मायने में भारत गांवों में ही बसता है तो फिर क्यों न हम पहले अपने गांव को ही उन मूलभूत सुविधाओं से लैस कर दें ताकि गांव का पलायन रुक सके। इसके लिए वह पंपलेट-पोस्टर आदि के जरिए मॉडल गांव की सोच को समुदाय तक पहुंचाने में जुटे हैं। युवाओं का दिशा-निर्देशन “मॉडल गांव” संस्था कर रही है।
बबेरू ब्लाक के पिस्टा गांव के रहने वाले संकटा प्रसाद त्रिपाठी ऐसे ही जुझारू लोगों में शामिल हैं जो कि अपने गांव को मॉडल गांव बनाने का संकल्प लेकर मेनिफेस्टो को जन-जन तक पहुंचाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि आईएएस अधिकारी हीरालाल जब बांदा के जिलाधिकारी थे तब उन्होंने इसकी पहल की थी, जो उन्हें बेहद पसंद आई और तब से ही वह गांव को एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने की ठान चुके हैं। इसके लिए उन्होंने पोस्टर तैयार कर रखा है, जो गांव-गांव पहुंचा रहे हैं। पोस्टर में गांव को माॅडल गांव बनाने के चरणबद्ध तरीके लिखे हुए हैं। उनका कहना है कि जल संकट का सामना कर रहे जिले में कुछ नवप्रयोग हुए जिसके जरिए अब लोगों को पीने से लेकर सिंचाई तक के लिए पानी मिलने लगा है। इसके लिए कूप, तालाब और नदियों की साफ-सफाई के साथ ही बरसात के पानी को संरक्षित करने किया जा रहा है। गांव में अब अपना पंचायत भवन है, जहां पर बैठकर गांव के विकास पर मंथन होता है और लोगों की समस्याओं का निस्तारण किया जाता है।
उधर, कोर्रा खुर्द गांव के बाशिंदे अरुण कुमार पटेल का कहना है कि गांव घोषणा पत्र (विलेज मेनिफेस्टो) पर अगर सही मायने में अमल की जाए तो गांव को हर स्तर पर विकसित बनाने से कोई नहीं रोक सकता है। उनका कहना है कि क्षेत्रीय युवा इसमें रूचि भी दिखा रहे हैं, उन युवाओं का मानना है कि बाहर जाकर महीने में आठ-दस हजार रूपये कमाने से बेहतर है कि अपनी खेती-किसानी पर ध्यान दिया जाए तो उससे बेहतर कमाई हो सकती है। घर-परिवार की देखभाल भी हो सकती है।
आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सहयोग से पूरी तत्परता से सूबे में कार्य कर रही यह संस्था देश के कुछ ऐसे गांवों की तस्वीर भी लोगों के सामने पेश कर रही है जो कि अपने सराहनीय कार्यों के बल पर लोगों के जीवन में नया सबेरा ला सके हैं। संस्था के कार्यकलापों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए वेबसाइट (उवकमसहंवद.वतह) पर भी संपर्क किया जा सकता है।

क्या है गांव घोषणा पत्र गांव घोषणा पत्र का मुख्य उद्देश्य इसके माध्यम से गांव में विकास का एजेंडा स्थापित कर और चेंजमेकर तैयार कर गांव का सर्वांगीण विकास करना है। इसके अलावा इसमें उन मूलभूत सुविधाओं को शामिल किया गया है, जो उसे मॉडल गांव की श्रेणी में शामिल कर सके और गांव में खुशहाली ला सके। इन प्रमुख बिन्दुओं में गांव की सफाई, शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, सोलर प्लांट, गांव में ही रोजगार की व्यवस्था, इंटरनेट की सुविधा, कुपोषण को खत्म करने पर जोर, जल संचयन, उत्पादों को बेचने की भरपूर और अच्छी व्यवस्था  शामिल है। इसके अलावा वृक्षारोपण (मेड़ पर पेड़), खेल, कला व संस्कृति के विकास का ध्यान, महिला विकास पर जोर, प्रतिभा चयन व विकास की व्यवस्था हो, ग्राम समस्या और समाधान पर मंथन भी शामिल हैं।

 संवाददाता: क़ासिद अली सिद्दीकी

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