पत्नी बनी है मुखिया, मुखिया का रोब पति का

बांका : जिले के चांदन प्रखंड अंतर्गत गौरीपुर पंचायत के  प्राथमिक विद्यालय में रसोईया की बहाली थी। जिसमें विभागीय निर्देशानुसार रसोईया की बहाली, पंचायत के जनप्रतिनिधियों की अध्यक्षता एवं उनकी उपस्थिति में होनी थी। चयन प्रक्रिया प्रारंभ में ही विवाद होने के कारण रद्द हो गया। लेकिन महिला जनप्रतिनिधियों की भागीदारी में उनके पतिदेव उपस्थित थे। और उस आमसभा में बैठे तमाम महिला पुरुषों एवं शिक्षक अभिभावकों ने महिला जनप्रतिनिधियों के पतिदेव को मुखिया सरपंच कह कर संबोधित कर रहे थे।

मानो विभाग के वरीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण, अंकुश लगाने के जगह पर पीठ थपथपाना होती हो, ऐसी स्थिति में ग्रामीणों की यह मजबूरी बन गई है। कि उनकी पत्नियां मुखिया है और सारा काम उनके पतिदेव करते हैं और हम ग्रामीणों से रूबरू होकर हमारी दुख दर्द उनके पतिदेव सुनते हैं। इसलिए उनको मुखिया जी कहते हैं।ग्रामीणों का कहना है मैं गलत हूं लेकिन अधिकारियों तक मुखिया जी कहकर ही संबोधित करते हैं पतिदेव को। इस क्रम में सुरेश मिथलेश, जागेश्वर, कौशल्या देवी, रीना देवी, धनेश्वर आदि कई महिला पुरुषों से तर्क वितर्क हुआ जिसमें कई ने कहा बिहार पिछड़ा है बिहार आज भी साक्षर नहीं हुआ है, कुछ तो लोग नाम लिखने जानते हैं लेकिन बोलचाल में आज भी ठेंठ हैं।

कागजों पर खानापूर्ति हो गई है। क्योंकि आज भी अक्सर सुनने को मिलेगा की आपने आटा पीसवा लिया है। जबकि शुद्धता गेहूं पिसवाया होगा ,या पिसवा लिया,ऐसे कई मुद्दे उठे इसलिए यहां महिला आरक्षण के चलते सभी जनप्रतिनिधि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निर्वाचित महिलाओं ने शपथ ग्रहण के बाद अपने अधिकारों जानकारी के अभाव में पूरे कार्य अपने पतियों को सौंप दिया है। ऐसा नहीं है कि महिला जनप्रतिनिधियों के अधिकारों के हनन की जानकारी विभागीय अधिकारियों को नहीं है। लेकिन वे भी पतिदेव को सर्वश्रेष्ठ मानने में नहीं हिचकते हैं।

आज भी प्रखंड के पंचायती राज पदाधिकारी, प्रखंड के शिक्षा विभाग, प्रखंड, अंचल, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, अस्पताल, थाना एवं वन विभाग के पदाधिकारियों ने अंकुश लगाने के बजाय महिला जनप्रतिनिधि के पति को मुखिया जी कहकर संबोधित करते हैं।मीडिया दर्पण है। सच्चाई निर्भीक होकर लिखती है जिससे वो समाज की  सच्चाई बातों को उजागर करती है। मीडिया परहरी का काम करती है।

चांदन बीडीओ राकेश कुमार ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जीतने वाली महिला जनप्रतिनिधियों को अपने कर्तव्य व अधिकार के संबंध में प्रशिक्षण नहीं हुआ है। उन्हें प्रशिक्षण के दौरान समझाना होगा तभी सरकार द्वारा 50 फीसदी आरक्षण महिलाओं को दिया गया आरक्षण का लाभ मिल पाएगा। महिला जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच रूबरू होना एवं जनता के कार्यों में अपनी भागीदारी निभानी होगी।उन्होंने कहा महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को आरक्षण मिला है। के अधिकार के हनन को उनके ही पति कर रहे हैं तो निश्चित है कि उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई होगी।

रिपोर्टर : राकेश कुमार बच्चू 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.