14 फरवरी को है वसंत पंचमी , ऐसे में जानें कैसे अवतरित हुईं थी मां सरस्वती ?
वैदिक धर्म ग्रंथों के आधार पर प्रत्येक व्रत और त्योहार का अपना विशेष महत्व है. ऐसा ही त्योहार है बसंत पंचमी. बसंत पंचमी का पर्व माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. इस बार बसंत पंचमी 1 दिन बाद यानी कि 14 फरवरी को मनाई जाएगी . मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं ... खासकर पढ़ाई करने वालों बच्चों और युवाओं को आज मां सरस्वती का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है . वैसे तो आप बचपन से बंसत पंचमी के बारे में बहुत सी बाते सुनते हुए आए होंगे . लेकिन आज हम इस दिन के महत्व को और आसानी से समझाएंगे
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अलग-अलग ऋतुओं को हमारे जन-जीवन, पर्वों व धर्मिक मान्यताओं से जोड़ा जाता है.वसंत ऋतु का भी अपना महत्व है. सरस्वती देवी को विद्या, ज्ञान, वाणी, संगीत व बुद्धि की देवी माना जाता है.सुरों की देवी की वसंत पंचमी पर देशभर में वंदना की जाती है.. बसंत पंचमी के पर्व को लेकर ये मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती अवतरित हुई थीं...
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की. हालांकि अपनी रचना से ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थे. उदासी से सारा वातावरण शांत था...किसी भी चीज में कोई आवाज नहीं थी .. ये देखकर ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का. उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. उनके तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वरद मुद्रा में था. जैसे ही उस देवी ने वीणा की मधुर तान छेड़ी सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को आवाज मिल गई...और ये देवी कोई और नहीं थी , बल्कि मां सरस्वती ही थीं . इसीलिए इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में निर्धारित कर दिया गया ..
इस दिन इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि पीला रंग सुख, शांति प्रदान करने वाला और तनाव को दूर करने वाला माना गया है. कहा जाता है कि इस दिन विद्यार्थियों को जरूर पढ़ना चाहिए.. विद्यार्थी चाहे पढ़ाई के हो या संगीत के ...सभी के लिए इस दिन का एक अलग ही महत्व होता है ....तो चलिए जानते है कि क्या है ये महत्व –जैसा कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ज्ञान, वाणी, बुद्धि, विवेक, विद्या और सभी कलाओं से परिपूर्ण मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. खासतौर पर ये दिन शिक्षा एवं कला से जुड़े हुए लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए यह दिन नई विधा, कला, संगीत आदि सीखने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. छोटे बच्चों को इस दिन अक्षर लिखवाकर उनकी शिक्षा का शुभारंभ किया जाता है. ऐसा करने से पूरे विद्यार्थी जीवन में मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है
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