सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने ऐतिहासिक स्थलों को विकसित करने का किया मांग

बिहार : पश्चिम चंपारण बेतिया जिला अंतर्गत  ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला वृंदावन आश्रम भितिहरवा आश्रम एवं रामपुरवा स्थित अशोक स्तंभो को संरक्षण प्रदान कर विकसित करने की सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने पुन: सरकार से की मांग।आज 3 अप्रैल 2021 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में पश्चिम चंपारण के अत्यधिक महत्वपूर्ण धरोहरो विशेष रुप से ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला वृंदावन आश्रम भितिहरवा आश्रम सोफा मंदिर एवं ऐतिहासिक रमपुरवा स्थित अशोक स्तंभो को संरक्षण प्रदान कर विकसित करने की मांग सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन सरकार से पुन: की है। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन सरकार से इन ऐतिहासिक धरोहरों को विकसित करने की मांग सरकार से कई बार की थी ।इस अवसर पर एक बैठक का आयोजन सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में किया गया !इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सचिव डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षण प्रदान करने के लिए सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के तत्वधान में विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं बुद्धिजीवियों ने इस बैठक का आयोजन किया है !जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला वृंदावन आश्रम भितिहरवा आश्रम ऐतिहासिक सोफा मंदिर एवं रमपुरवा स्थित ऐतिहासिक अशोक स्तंभों संरक्षण प्रदान कर विकसित रूप दिया जाए। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद ने कहा कि भारत सरकार द्वारा भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ पर दांडी से अमृत उत्सव महोत्सव का आरंभ कर दिया गया है ।इसी कड़ी में आगामी 10 अप्रैल को सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन सरकार एवं सामाजिक संगठनों द्वारा पश्चिम चंपारण की धरती पर अमृत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है ताकि नई पीढ़ी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गाथा एवं अपने पुरखों के त्याग एवं बलिदान को जान सके। 10 अप्रैल 1917 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बिहार की पटना में चंपारण सत्याग्रह के लिए रेल से आगमन हुआ था स्मरण रहे कि असहयोग आंदोलन की 100 वी शताब्दी वर्ष एवं भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन सरकार से मांग करती है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं चंपारण सत्याग्रह से जुड़े ऐतिहासिक धरोहरो एवं चंपारण के अत्यधिक महत्वपूर्ण धरोहरो में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला वृंदावन आश्रम भितिहरवा आश्रम रमपुरवा अशोक स्तंभ सोफा मंदिर सोमेश्वर पहाड़ के स्मृति चिन्हों चांनकी गढ़ नंदनगढ़ लौरिया अशोक स्तंभ जैसे दुर्लभ स्मृतियों संरक्षण प्रदान करें विकसित रूप दिया जाए

पश्चिमीचंपारणके रामपुरवा स्थित अशोक स्तंभ अपनी प्राकृतिक चमक खो रहा है। मौर्यकालीन पाषाण निर्माण कला का सुंदर दृष्टांत माने जाने वाले ये स्तंभ पिछले कई वर्षों से एएसआई द्वारा सुरक्षित धरोहरों की सूची में शामिल है। इसके बावजूद इसका संरक्षण ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। स्तंभों को धूप और बारिश से बचाने के लिए खड़ा किया गया आंशिक शेड का भी कोई फायदा नही है। स्तंभों के ऊपर ऑर्गेनिक डिपॉजिट की एक काली परत जम गई है।
रामपुरवामें मिले दोनों मौर्यकालीन स्तंभों को खड़ा कर रखने की बजाए जमीन पर गिरा कर रखा गया हैं। इनमें एक अभिलिखित है, जबकि दूसरा बिना लेख का।अभिलिखित स्तंभ पर अशोक के सातों स्तंभलेख उकेरे गए हैं। यह मौर्यकालीन इतिहास पर महत्वपूर्ण रोशनी डालता है। इसके ऊपर कई स्थानों पर मयूर या समतुल्य पक्षियों को भी उकेरा गया है, जो मौर्य शासकों का प्रतीक चिन्ह रहा है। इसमें एक स्तंभ के शीर्ष पर सिंह की आकृति बनी थी, जो इन दिनों इंडियन म्यूजियम कोलकाता में रखा है। दूसरा स्तंभ क्षतिग्रस्त अवस्था में है। इसके शीर्ष पर बैल बना हुआ था, जो इन दिनों राष्ट्रपति भवन में रखा है।

रामपुरवाबौद्ध परंपरा से गहराई से जुड़ा है। माना जाता है कि गृह त्याग की इच्छा से प्रेरित होकर राजकुमार सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु से निकले तो अनोमा नदी के किनारे अपने बाल का मुंडन कराया था। संन्यासी का वेश धारण कर अपने सारथी छन्दक और प्रिय घोड़े कंथक को वापस भेज दिया। पालि साहित्य में उल्लेखित मुंडन स्थल की पहचान रामपुरवा के रूप में की गई है।

इस स्तंभ को एक उठे हुए प्लेटफाॅर्म पर रखा गया है। शेड देकर सुरक्षित रखने का प्रयास किया गया है। प्राकृतिक दुष्प्रभावों से क्षतिग्रस्त हो रहा है। इनके ऊपर कार्बन डिपॉजिट की एक परत जम गई है। दोनों स्तंभ के अधिकतर स्थान काले पड़ गए हैं और इनकी विशिष्ट चमक खो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार कार्बन डिपॉजिट की परत जमने की कई वजह हो सकती है। बरसात में कई दिनों तक पानी लगे होने के कारण इनपर मॉस पनप सकती है। गर्मी के दिनों में अत्यधिक ताप के चलते यह मॉस सूख कर झुलस जाती होगी और राख कालिख के रूप में जमा हो जाती है इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी डॉ0 शाहनवाज अली प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता नवीदू चतुर्वेदी डॉ0 एजाज अहमद ने कहा कि ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 22 अप्रैल 1917 को शाम 5:00 बजे पहुंचकर चंपारण सत्याग्रह आंदोलन की कार्यालय स्थापित की थी !साथ ही 16 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला एवं 17 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक राज हाई स्कूल में 10,000 से ज्यादा किसानों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण जांच कमेटी के समक्ष नील की खेती के अभिशाप एवं अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध लामबंद होकर अपना बयान दर्ज कराया था! इस अवसर पर सभी सदस्यों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ पर अमृत उत्सव एवं असहयोग आंदोलन के शताब्दी वर्ष पर ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला वृंदावन में आश्रम भितिहरवा आश्रम सोफा मंदिर रमपुरवा स्थित अशोक स्तंभ एवं विभिन्न ऐतिहासिक स्मृति चिन्हों को जीवंत रूप दिया जाए !साथ ही राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना की जाए ताकि नई पीढ़ी अपने पुरखों के गौरवशाली इतिहास को जान सके! यही होगी सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि।

 

रिपोर्टर : रोहित कुमार दुबे

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